नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) में समग्र सुरक्षा स्थिति (Overall security status) की समीक्षा की. अधिकारियों ने बताया ‘यह समीक्षा बैठक भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए राजनयिक स्तर (Diplomatic level) पर हुई वार्ता के दो दिन बाद हुई है. इस बीच सेना ने बताया कि 20 और 21 अगस्त को सेना के कमांडरों (Commando) की बैठक उत्तरी और पश्चिमी मोर्चों पर सुरक्षा स्थिति और सैन्य तैयारियों की समीक्षा के लिए हुई थी.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (National Security Advisor Ajit Doval), प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat), थल सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे (Army Chief General MM Narwane), नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह (Navy Chief Admiral Karambir Singh) और वायु सेना प्रमुख आर के एस भदौरिया (Air Force Chief RKS Bhadauria) भी बैठक में शामिल हुए.
सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं (Important Aspects) पर चर्चा की गई. हालात से निपटने के लिए भविष्य के कदमों पर विचार-विमर्श किया गया. जनरल नरवणे ने भारत की सैन्य तैयारियों, हथियारों और सैनिकों की तैनाती, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) सहित सभी संवेदनशील इलाकों (Sensitive Areas) में कड़ाके की सर्दी के बीच सैनिकों की तैनाती बनाए रखने को लेकर प्रस्तुति दी.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत किसी भी हाल में सैनिकों की संख्या कम नहीं करने जा रहा है. भारतीय सेना ने चीन के साथ बातचीत में मजबूती के साथ कहा कि विवाद को सुलझाने के लिए अप्रैल से पहले वाली स्थिति बहाल होनी चाहिए. सेना का आकलन है कि चीनी सैनिक सीमा विवाद को सुलझाने के लिए गंभीर नहीं हैं.
यह माना जा रहा है कि दो दिवसीय सम्मेलन (Two day Conference) में सेना के कमांडरों ने चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर उत्पन्न होने वाली संभावित चुनौतियों और उनसे प्रभावी तरीके से निपटने पर चर्चा की. भारत और चीन के बीच पिछले ढाई महीने में सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई चरण की बातचीत हो चुकी है लेकिन पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के समाधान के लिए कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हो पायी है.
दोनों पक्षों के बीच बृहस्पतिवार को राजनयिक स्तर की अगले चरण की वार्ता हुई जिसके बाद विदेश मंत्रालय (Foreign Ministry) ने कहा कि उन्होंने त्वरित तरीके (Quick ways) से और निर्धारित समझौते और प्रक्रिया के मुताबिक लंबित मुद्दों (Pending Issues) के समाधान के लिए सहमति जतायी है. हालांकि सूत्रों ने कहा कि बैठक में कोई महत्वपूर्ण समाधान नहीं हो सका.
सूत्रों ने बताया, ‘सैन्य वार्ता (Military talks) में भारतीय सेना ने स्पष्ट कर दिया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA ) द्वारा एलएसी को ‘बदलना’ स्वीकार्य नहीं है जबकि चीनी सेना की कोशिश पूर्वी लद्दाख में अपनी कार्रवाई को उचित ठहराने की रणनीति पर काम करने की है. दोनों पक्षों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर (Military and Diplomatic level) पर वार्ता हो रही है, लेकिन भारतीय सेना इसके साथ ही पूर्वी लद्दाख में कड़ाके की ठंड में भी सैनिकों की तैनाती कायम रखने की तैयारी कर रही है.’
एक सैन्य अधिकारी ने पहचान गुप्त रखते हुए कहा, ‘सेना लंबे समय तक एलएसी पर डेरा डाले रखने के लिए तैयार है. सेना प्रमुख जनरल नरवणे पहले ही एलएसी की अग्रिम इलाकों की तैयारियों को देख रहे अपने सभी वरिष्ठ कमांडरों को सतर्क रहने और चीन के किसी भी दुस्साहस (Dare) का आक्रमक तरीके से जवाब देने का संदेश दे चुके हैं.’
उन्होंने बताया कि सेना हथियार(Army Weapon), गोलाबारूद (Arms and Ammunition) और अग्रिम मोर्चो पर डटे जवानों के लिए विशेष वर्दी (Special Uniform) खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है क्योंकि एलएसी के कई इलाकों में सर्दियों के दिनों में तापमान शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस (25 ° C) तक नीचे चला जाता है. सूत्रों ने बताया कि भारत लद्दाख में नयी सड़कें बिछाने का भी काम कर रहा है.
अजित डोभाल (Ajit Doval) और चीन (China) के विदेश मंत्री वांग यी (Foreign Minister Wang Yi) के बीच टेलीफोन पर बातचीत के एक दिन बाद छह जुलाई को सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हुई. हालांकि, मध्य जुलाई के बाद से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पायी.
सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना गलवान घाटी (Galvan Valley) और टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से पीछे हट चुकी है. लेकिन पैंगोग सो(Pangong Tso) , देपसांग (Depsang) तथा कुछ अन्य स्थानों से सैनिकों की वापसी नहीं हुई है. (इनपुट भाषा )
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