भोपाल: मध्य प्रदेश के वित्त विभाग ने मान लिया है कि कोरोना काल की वजह से सरकार के खजाने पर बुरा असर पड़ा है. विभाग ने अपने आदेश में इस बात का उल्लेख करते हुए सरकारी कर्मचारियों का इनक्रीमेंट रोक दिया है. मंत्रालय सूत्रों की माने तो कटौती का ये दौर आगे और असर दिखा सकता है. सरकार के बड़े महकमों में कटौती प्लान शुरू किया जा सकता है. कई महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में जा सकते हैं, लेकिन जिन जिलों में उपचुनाव होने हैं वहां पर सरकार फोकस ज्यादा है. हालात देखते हुए कांग्रेस ने सरकार से तुरंत ऊलजुलूल खर्चे रोकने और वित्तीय हालात पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग कर दी है.
वित्त विभाग के आदेश साफ लिखा है कि कोरोना महामारी के परिणामस्वरूप प्रदेश की स्वयं के कर और गैर कर राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इसलिए सरकारी कर्मचारियों को काल्पनिक इनक्रीमेंट दिया जाएगा. इस आदेश के बाद प्रदेश के करीब 10 लाख सरकारी कर्मचारियों को करीब 4 हजार रुपये का नुकसान होगा. आदेश में ये भी लिखा है कि आने वाले छह महीने तक यानी 1 जनवरी 2021 तक ये आदेश लागू रहेगा. यानी छह महीने तक इनक्रीमेंट या एरियर मिलने की संभावना नहीं है. सरकार पहले ही कर्मचारियों के महंगाई भत्ते के आदेश को रोक चुकी है. अब ये मार उनके बजट पर असर करेगी.
खाली खजाने से संकट में ये महत्वाकांक्षी योजनाएं
सभी विभागों के बजट में 20 फीसदी तक की कटौती की गई है. यानी अब सभी विभागों को कम बजट में काम करना पड़ेगा. इस आदेश के बाद अब पीडब्ल्यूडी, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग जैसे बड़ी विकास परियोजनाओं पर काम करने वाले महकमों के नये विकास और निर्माण प्रोजेक्ट पर फर्क पड़ना तय हो गया है. ये महकमे अब केवल पुरानी योजनाओं को ही पूरा करने का प्रयास करेंगे. खाली खजाने की वजह से अब सरकार जरूरी कामों पर फोकस करेगी, इससे कई बड़ी परियोजनाएं कछुआ चाल से ही चल पाएंगी. ऐसे में कई योजनाएं खटाई में पड़ सकती हैं, मसलन भोपाल और इंदौर की मेट्रो रेल परियोजना, नए उद्योगों की स्थापना के लिए अधोसंरचना निर्माण योजना, नए कॉलेज, स्कूल भवनों और छात्रावास निर्माण के काम, ग्रामीण सड़क योजना के नए काम, पंचायत, सामुदायिक भवन, आंगनबाड़ी भवनों के नए निर्माण कार्य, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, सागर, उज्जैन, सतना, जबलपुर की स्मार्ट सिटी योजना इसमें शामिल है.
आम आदमी के फायदे की योजनाएं चलती रहेंगी
पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि ये बात सही है कि आमदनी पर फर्क पड़ा है. लेकिन, सरकार फिलहाल रोजगार, किसान जैसी योजनाओं के साथ सामाजिक न्याय विभाग की पेंशन योजनाएं जिसमें वृद्धा वस्था पेंशन, निराश्रित पेंशन स्कीम पर फोकस करेगी, नए प्रोजेक्ट कुछ महीनों के लिए टाले जा रहे हैं.
27 सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर ज्यादा फोकस
सरकार में आने के बाद शिवराज सरकार के सामने आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया जैसे हालात हैं. आमदनी के मामले में आत्मनिर्भर रहने वाले कई निगम-मंडलों में इसका असर देखने को मिल रहा है. पर्यटन विकास निगम ने तो आमदनी घटने की वजह से कर्मचारी-अधिकारियों की सैलरी में 30 से 40 फीसदी तक की कटौती करने का फैसला ले लिया है. विशेषज्ञों के मुताबिक पिछले चार-पांच महीने में लॉकडाउन की वजह से प्रदेश के राजस्व में करीब 40 फीसदी की गिरावट देखी गयी है. इसलिए आने वाले दिनों में इतनी जल्दी हालात सामान्य होने की संभावना भी नहीं है. राजनैतिक परिस्थितियों के मद्देनजर बीजेपी का फोकस आने वाले विधानसभा उपचुनावों पर भी है. इसलिए मौजूदा संसाधनों में से ज्यादातर राशि इन्हीं इलाकों को ध्यान में रखकर प्लान की जा रही है.
विपक्ष की फिजूलखर्ची रोक श्वेत पत्र जारी करने की मांग
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार से तुरंत फिजूल खर्चे रोकने की मांग की है. कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने कहा कि सरकार को आर्थिक मामलों पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए. बजट से ही हालात नजर आ रहे हैं कि आने वाले दिनों में आर्थिक कटौतियों का दौर चलेगा. कृषि और इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र की राशि बड़े पैमाने पर काटी गयी है. इससे फाइनेंसियल फ्लो रुकेगा और प्रदेश की आर्थिक स्थिति का नुकसान होगा.
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