नई दिल्ली: ‘भूमाफिया चीन’ की भूख नहीं मिट रही है. पूरी दुनिया को कोरोना बांटने के बाद चीन कई देशों के साथ तनावपूर्ण रिश्तों को बढ़ावा देने में लगा हुआ है. भारत, म्यांमार, जापान के बाद अब चीन ने रूस से दुश्मनी मोल ली है. वो रूस, जो चीन के साथ ऐसे समय साथ रहा, जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के लिए उसकी आलोचना कर रही है.
रूस इस समय कोरोना से कहर झेल रहा है लेकिन उसने चीन पर आरोप नहीं लगाए. रूस ने हांगकांग के मुद्दे पर भी चुप्पी साध रखी है. एक भी शब्द चीन के खिलाफ नहीं बोला. लेकिन चीन ने रूस को बदले में क्या दिया? चीन ने रूस के एक शहर पर अपना दावा ठोक दिया है.
आप सही पढ़ रहे हैं. चीन ने रूस के शहर व्लादिवोस्तोक पर दावा ठोका है. यह शहर कभी किंग राजवंश से संबंधित था. रूस ने द्वितीय अफीम युद्ध में चीन को हराने के बाद इस क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित कर लिया. चीन को यह क्षेत्र रूस को देना पड़ा. इसके लिए दोनों देशों के बीच 1860 में एक संधि भी हुई थी. तब से यह शहर रूस के आधिपत्य में है लेकिन चीन ने इस संधि को मानने से इनकार कर दिया है.
इतना ही नहीं, चीन ने यह भी कहा कि इस शहर को पहले हैशेनवाई के नाम से जाना जाता था जिसे रूस से एकतरफा संधि के तहत चीन से छीन लिया था. अब चीन ने रूस के खिलाफ दुष्प्रचार शुरू कर दिया है. व्लादिवोस्तोक पर रूस का 160 साल से कब्जा है.
इस विवाद की शुरूआत एक सोशल मीडिया पोस्ट से हुई. चीन में रूस के दूतावास की ओर से चीन की माइक्रो ब्लॉगिंग साइट Weibo पर व्लादिवोस्तोक शहर को लेकर एक वीडियो पोस्ट किया गया. वीडियो का उद्देश्य व्लादिवोस्तोक शहर के 160वे स्थापना दिवस को उत्सव मनाना था. चीन को यह नागवार गुजरा.
वहीं चीन का फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया के साथ भी विवाद है. रूस का व्लादिवोस्तोक शहर प्रशांत महासागर में तैनात उसके बेड़े का प्रमुख बेस है. यह शहर प्रिमोर्स्की क्राय राज्य की राजधानी है. यह शहर चीन और उत्तर कोरिया की सीमा के नजदीक स्थित है. व्यापारिक और ऐतिहासिक रूप से व्लादिवोस्तोक रूस का सबसे अहम शहर है. रूस से होने वाले व्यापार का अधिकांश हिस्सा इसी पोर्ट से होकर जाता है.
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