सत्ताधारी दल चहेती संस्थाओं को दे रहा लाखों रुपए
सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
नगरीय निकायों में सत्ता पर काबिज राजनेता अब अपनी चहेती संस्था या एनजीओ को अनुदान देकर ओबेलाइस नहीं कर सकेंगे, लेकिन नगर निगम भोपाल सरकार की बगैर अनुमति के धड़ल्ले से अनुदान बांट रहा है। प्रदेश सरकार ने इस परंपरा पर विराम लगाया है कि निकाय परिषद के संकल्प के साथ नगरीय प्रशासन विभाग से बगैर अनुमति अनुदान न दें। इसके बाद भी नगर निगम आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद भी करोड़ों रुपए सालाना अनुदान के रूप में बांट रहा है।
सरकार ने जनहित कार्य करने वाली संस्था या एनजीओ को ही अनुदान देने की पात्रता प्रदान की है। सरकार ने गाइड लाइन जारी करते हुए नगरीय निकायों को सुझाया दिया था कि किसी भी संस्था को अनुदान देते समय यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि इससे निकाय पर अतिरिक्त वित्तीय भार तो नहीं पड़ेगा। नगरीय प्रशासन विभाग ने नगर पालिका और नगर परिषद को लिखे पत्र में कहा है कि मप्र नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 106 (2)(ड)में राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी से कोई भी ऐसे अन्य प्रकार का अंशदान जो निकाय परिषद द्वारा स्वीकृत किया जाएगा, उसके लिए 10 अलग-अलग प्रकार के मापदण्ड जारी किए थे।
नगरीय प्रशासन विभाग ने 2013 में जारी किए आदेश में कहा है कि संस्था का नाम और रजिस्ट्रेशन नम्बर, संस्था के कार्यकलाप एवं उद्देश्य (जनहित के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया जाए), निकाय के संबंधित वर्ष के बजट में अनुदान देने हेतु किए गए प्रावधान की जानकारी, विषयांतर्गत स्वीकृति हेतु लागू नियम का उल्लेख, उक्त अनुदान देने में निकाय की वित्तीय स्थिति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडऩे का प्रमाण पत्र, संबंधित संस्था को अनुदान देने के संबंध में परिषद द्वारा पारित संकल्प का विवरण प्रति अनिवार्य रूप से संलग्न करने के निर्देश दिए थे। साथ ही संस्था को पूर्व में अनुदान किया गया हो तो संस्था से उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त कर संलग्न करें, संस्था द्वारा शासन के किसी अन्य विभाग या संस्था से कोई अनुदान तो प्राप्त नहीं हो रहा है, इसकी जानकारी, संस्था के कार्यकलापों या संचालन के बारे में स्थानीय स्तर पर कोई विवाद या न्यायालयीन हस्तक्षेप आदि का कोई प्रकरण लंबित या प्रचलित तो नहीं है।
इस संबंध में प्रमाण पत्र निकाय को देना होगा। सरकार ने निकाय से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि उक्त अनुदान को व्यापक जनहित में दिया जा रहा है। सरकार की इस गाइड लाइन के बाद नगरीय निकायों से अनुदान प्राप्त करने वाली संस्थाओं को अनुदान प्राप्त करने में मुश्किलें खड़ी हो सकती थी, लेकिन नगर निगम भोपाल ने सरकार के निर्देशों को दरकिनार कर करोड़ों रुपए का अनुदान बांटा है।
169 संस्थाओं को बांटे 3.25 करोड़ रुपए
नगर निगम प्रशासन ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में 169 संस्थाओं को 3.25 करोड़ रुपए का अनुदान स्वीकृत किया था। निगम प्रशासन की इस वित्तीय वर्ष में अब तक के बाकी वित्तीय वर्षों की तूलना में आर्थिक स्थिति ज्यादा खराब है। स्थिति ऐसी है कि बजट के अभाव में 80 करोड़ रुपए के विकास कार्यों को अगले वित्तीय वर्ष में कराए जाने के लिए रोक लिया है। इसके बाद भी फिजूल खर्चों पर रोक लगाए जाने की कोई व्यवस्था नगर निगम प्रशासन नहीं कर पाया है।
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