राम मंदिर और राजीव गांधी… छत्ते में हाथ शरद पवार ने डाला, मधुमक्खियां कांग्रेस को काटेंगी!

एनसीपी नेता शरद पवार का ताजा बयान कांग्रेस को असहज करने वाला है. वेटरन नेता ने कहा कि अयोध्‍या में राम मंदिर का ‘शिलान्यास’ तब हुआ था जब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे. पवार ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस तो इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं. एनसीपी नेता मंगलवार को कर्नाटक के निपाणी में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. पवार के निशाने पर तो बीजेपी और आरएसएस थे, मगर कांग्रेस कोलैटरल बन गई. कांग्रेस पहले ही 22 जनवरी को अयोध्‍या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकरा चुकी है. अब पवार ने अयोध्‍या में मंदिर का क्रेडिट राजीव सरकार को देकर कांग्रेस को फंसा दिया है. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को ‘बीजेपी-आरएसएस का कार्यक्रम’ बताने वाली कांग्रेस कहीं पवार की गुगली पर LBW न हो जाए! तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाने का फैसला किया था. 9 नवंबर 1989 को, विश्व हिंदू परिषद के नेताओं को अयोध्‍या में राम मंदिर का शिलान्यास करने की अनुमति दी गई थी. उसी के बाद देश में राम मंदिर आंदोलन की नई लहर देखने को मिली.

ताला खोलने से शिलान्यास तक, क्या थी कांग्रेस की भूमिका

यह तथ्य है कि जब राजीव गांधी पीएम थे, तब बाबरी मस्जिद का ताला खुला था. मगर क्या ताला खुलवाने का आदेश सीधे राजीव से आया था? मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछले साल नवंबर में द इंडियन एक्‍सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वो राजीव ही थे जिन्होंने 1980s के मध्य में मस्जिद का ताजा खुलवाया. कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने अपनी किताब Memoirs of a Maverick में लिखा है कि ‘राजीव को ताला खोले जाने की साजिश के बारे में जरा भी भनक नहीं थी, उन्हें इस बार में बाद में पता चला और यही तथ्य है.’ 1989 में बीजेपी ने आधिकारिक रूप से रामजन्‍मभूमि आंदोलन का समर्थन किया. जवाब में राजीव सरकार ने VHP को राम मंदिर का शिलान्यास करने की अनुमति दे दी. फिर जब 6 दिसंबर 1992 की घटना हुई, जब पीवी नरसिम्हा राव की सरकार थे.

कांग्रेसी अब बाबरी विध्‍वंस का जिम्मेदार राव को ठहराते हैं. 2007 में राहुल गांधी ने कहा था कि अगर 1992 में गांधी परिवार राजनीति में होता तो बाबरी नहीं गिरती. राजीव की हत्या के बाद सोनिया गांधी कुछ समय तक सियासत से दूर थीं. 

पवार के बयान ने बीजेपी को दे दिया एक और तीर

1992 के बाद बीजेपी ने हिंदुओं के बीच तेजी से पैठ बनाई और कांग्रेस उत्तर प्रदेश में हाशिए पर चली गई. राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी उसे खासा राजनीतिक नुकसान सहना पड़ा. मुस्लिम वोटों की चाह में कांग्रेस ने एक ‘सेक्‍युलर’ मोड़ लिया और क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करने लगी. 2014 में नरेंद्र मोदी की एंट्री से कांग्रेस के लिए हिंदुत्व की पिच पर बीजेपी का मुकाबला करना और मुश्किल हो गया. 2019 के आम चुनाव में करारी हार ने कांग्रेस को कोर्स करेक्शन पर मजबूर किया.

2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस तमाम विपक्षी दलों के साथ मिलकर बीजेपी से लड़ने चली है. I.N.D.I. गठबंधन बना है. शरद पवार की एनसीपी इस गठबंधन में कांग्रेस की सहयोगी है. फिर राजीव गांधी वाला किस्सा दोहराकर पवार कांग्रेस के लिए असहज स्थिति क्‍यों खड़ी कर रहे हैं? बीजेपी पवार के इस बयान को सियासी हथियार के रूप में इस्तेमाल करेगी. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा में जाने से इनकार पर कांग्रेस पहले ही घिरी है. पवार के बयान के बाद उसके लिए अपने फैसले का बचाव और मुश्किल होगा.


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