संसद की सुरक्षा में सेंधमारी (Parliament Security Breach) करने वाले एक-एक आरोपी पर कानूनी शिकंजा कसता जा रहा है. अब तक 7 आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं. लेकिन जिस एक आरोपी ने इस संसद कांड को न सिर्फ अंजाम तक पहुंचाने साजिश रची बल्कि इस पूरी वारदात का ताना-बाना बुना वो ललित मोहन झा है. लोकतंत्र के मंदिर को निशाना बनाने वालों का मास्टरमाइंड ललित झा (Lalit Jha) 7 दिनों की पुलिस रिमांड पर है. दिल्ली पुलिस उससे संसद कांड का हर राज उगलवा रही है. ललित 14 दिसंबर की रात को पुलिस के कब्जे में आया था. पिछले 48 घंटे की पूछताछ में उसने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं, जिसकी बिनाह पर कई और किरदारों के गिरेबां तक जांच एजेंसियों के हाथ पहुंच सकते हैं. वहीं, सागर शर्मा (Sagar Sharma) ने बताया कि पहले संसद के बाहर खुद को आग लगाने का प्लान था. लेकिन फिर इसे ड्रॉप कर दिया था.
एक-दो नहीं 7 स्मोक कैन लेकर पहुंचे संसद
दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, आरोपी घटना को अंजाम देने के लिए एक दो नहीं बल्कि 7 स्मोक कैन लेकर पहुंचे थे. साजिश के तहत इस घटना को बड़ा बनाने के लिए संसद के अंदर घुसपैठ का प्लान बनाया था. आरोपियों ने गूगल सर्च पर संसद भवन के आसपास का एरिया सर्च किया था. बहुत सारी चीजों को सीखा था, जिसमें संसद की सुरक्षा के पुराने वीडियो भी शामिल हैं.
संसद में क्यों मचाया उपद्रव?
पुलिस ना पकड़ पाए उसके लिए सेफ चैट्स कैसे की जाती हैं उसको भी सर्च किया था. यही वजह है कि सभी आरोपी सिग्नल ऐप पर बात करते थे ताकि पकड़े ना जाएं. अब तक की जांच में ललित ही खुद को मास्टमाइंड बता रहा है. मीडिया में अपना प्रभाव साबित करना उनका सबसे बड़ा मकसद था. इसीलिए सत्र के दौरान संसद में घुसने की योजना तैयार की. अभी तक की जांच में सभी सेल्फ रेडिक्लाइज लग रहे हैं. देश के कई युवाओं को आकर्षित कर ये सभी अपने साथ जोड़ चुके थे.
खुद को आग लगाने का प्लान क्यों ड्रॉप किया?
पूछताछ में आरोपी सागर ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि पहले खुद को जलाने की योजना बनाई थी. लेकिन बाद में इस प्लान को छोड़ दिया गया. स्पेशल सेल को सागर ने ये भी बताया की एक Gel जैसा पदार्थ भी ऑनलाइन खरीदने का विचार किया गया था, जिसे शरीर पर लगाने से आग से खुद को बचाया जा सकता है. लेकिन ऑनलाइन पेमेंट ना होने के कारण वो Gel नहीं खरीद पाए और संसद के बाहर खुद को आग लगने का प्लान ड्रॉप हो गया.
पुलिस ने बरामद किए जले हुए मोबाइल फोन
गौरतलब है कि माता-पिता को दरभंगा की ट्रेन में बैठाने के बाद वह दिल्ली के लिए रवाना हुआ था. ललित के माता-पिता ने कहा कि मेरा बेटा निर्दोष है. उसे इंसाफ दिलाने के लिए कोर्ट की शरण लूंगा. ये भी जान लीजिए कि संसद सुरक्षा चूक मामले के आरोपी ललित झा ने अपने साथियों के मोबाइल फोन जला दिए थे. पुलिस ने उस स्पॉट पर पहुंचकर, फोन के जले हुए अवशेष बरामद कर लिए हैं. अब इन अवशेष को FSL जांच के लिए भेज जाएगा.
मास्टरमाइंड ललित झा के बड़े खुलासे
मास्टरमाइंड ललित झा ने पुलिस के सामने कबूल किया है कि वारदात से पहले आरोपियों ने संसद की रेकी की थी. रेकी के लिए आरोपियों ने कई बार दिल्ली का दौरा किया ताकि संसद की सुरक्षा में किसी भी चूक का फायदा उठाकर साजिश को अंजाम दे सकें. ललित ने साथी आरोपियों के फोन नष्ट कर देने की बात कबूल की है ताकि संसद कांड के षड़यंत्र से जुड़े तमाम सबूत मिटाए जा सकें.
कैसे रिस्टोर किया जाएगा डेटा?
इस खुलासे से साफ है कि ललित झा दिल्ली से राजस्थान के नागौर तमाम फोन को नष्ट करने के लिए ही पहुंचा था. लेकिन साइबर एक्सपर्ट कहते हैं कि फोन खराब कर देने या फिर जला देने के बावजूद उसमें मौजूद जानकारियां जांच एजेंसी हासिल कर सकती हैं. साइबर एक्सपर्ट साक्षर दुग्गल ने कहा कि पहले के समय जब Cloud Storage नहीं था तब फोन के जलने खत्म करने पर एविडेंस मिट जाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है, अब क्योंकि Cloud Storage में ही सब कुछ होता है तो अपराधी के चैट्स, फोटो, वीडियो, डॉक्यूमेंट्स सब कुछ पुलिस आराम से बैकअप कर सकती है.
संसद में उपद्रव करने वालों का मकसद क्या था?
ललित की जुबान से निकले राज से पुलिस इतना समझ चुकी है कि संसद कांड का सरगना खुद ललित ही है. दिल्ली पुलिस ने अदालत में भी कहा है कि ललित मोहन झा ही संसद कांड की साजिश का मास्टरमाइंड है. पुलिस के मुताबिक, संसद कांड के जरिए ललित सहित दूसरे तमाम आरोपियों का मकसद देश में अराजकता फैलाना था. साथ ही आरोपियों की कोशिश थी कि ऐसा करके वो अपनी मांगों को मनवाने के लिए सरकार को मजबूर कर दें. लेकिन पुलिस को इस पूरे कांड के पीछे विदेशी ताकत का भी शक है.
संसद कांड के खुलासे की सबसे बड़ी कड़ी ललित मोहन झा है. ललित की निजी जिंदगी को लेकर जो जानकारी मिल रही है वो इसके ब्रेनवॉश की ओर भी इशारा करती है. ललित का पैतृक घर बिहार के दरभंगा के रामपुरा उदय गांव में है. जानकारी के मुताबिक, ललित ने गांव में ही 7वीं तक पढ़ाई की थी. लेकिन फिलहाल इसका पूरा परिवार कोलकाता में रहता है. कोलकाता में ललित के पिता पुरोहित हैं और पूजा-पाठ कर जीवनयापन करते हैं. परिजनों का दावा है कि उन्हें ललित की गैरकानूनी हरकतों की कोई जानकारी नहीं थी.
facebook - जनसम्पर्क
facebook - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
twitter - जनसम्पर्क
twitter - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
जिला प्रशासन इंदौर और शासन की दैनंदिन गतिविधियों और अपडेट के लिए फ़ॉलो करें