चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ड्रीम प्रोजेक्ट BRI यानी बेल्ट एंड रोड परियोजना के दिन ठीक नहीं चल रहे हैं. इटली जैसे बड़े देश इससे पल्ला झाड़ रहे हैं तो अब चीन ने पुरानी चालबाजी शुरू कर दी है. विस्तारवादी चीन ने पहले पाकिस्तान को BRI के पार्ट CPEC का साझेदार बनाकर कंगाल किया और अब तालिबान के जरिए अफगानिस्तान को जाल में फंसाने की तैयारी शुरू कर दी है.
तालिबान पर मेहरबान चीन
पाकिस्तान को खस्ताहाल करने के बाद चीन ने CPEC यानी CHINA PAKISTAN ECONOMIC CORRIDOR में अफगानिस्तान को शामिल करने का फैसला किया है. चीन ने कहा है कि अफगानिस्तान लंबे समय से अच्छा पड़ोसी है. ऐसे में अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बाहर नहीं किया जाना चाहिए. चीन की सरकार वर्तमान में तालिबान को लुभाने में जुटी हुई है. यही कारण है कि उसने तालिबान को राजनयिक दर्जा दिया.
चीन ने चली पुरानी चाल
चीन ने तालिबान पर मेहरबानी दिखाकर अपनी पुरानी चाल चली है. यानी पहले प्रोजेक्ट शुरु करने के बहाने दोस्ती करो और फिर कर्ज लादकर उस देश पर कब्जा कर लो. विस्तारवादी चीन की इस चालाकी को दुनिया जानती है. चीन अफगानिस्तान के लिथियम रिजर्व वाले इलाके में निवेश करना चाहता है. इसके लिए तालिबानी मंत्रियों की चीनी कंपनियों से बात भी हो चुकी है. अपने जाल में तालिबान को फंसाने के लिए चीन ने BRI के लिए आयोजित फॉरम में भी बुलाया था.
क्या कह रहे एक्सपर्ट्स?
एक्स्पर्ट्स की मानें तो चीन की नजरें सिर्फ अफगानिस्तान के खनिज संसाधनों पर है. यानी प्रोजेक्ट के बहाने चीन कोअफगानिस्तान में एंट्री का मौका मिल रहा है. चीन तालिबान को सीपेक में शामिल करने की योजना बना रहा है. आइये आपको बताते हैं, इस कॉरिडोर में तालिबान को शामिल करके चीन को क्या क्या फायदे होंगे..
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