भारत और न्यूजीलैंड के बीच सेमीफाइनल मुकाबले में मुंबई की वानखेड़े स्टेडियम की पिच का मिजाज थोड़ा बदला हुआ नजर आ सकता है. यानी इस मैदान पर वर्ल्ड कप 2023 के पिछले जो भी मुकाबले हुए हैं, उनकी तुलना में यह पिच थोड़ा अलग बर्ताव कर सकती है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वानखेड़े की पिच से ज्यादातर घास को हटा दिया गया है. ऐसे में दूसरी पारी में तेज गेंदबाजों को पिच से जो अतिरिक्त मदद मिल रही थी, वह अब नजर नहीं आएगी.
वानखेड़े की जिस पिच पर भारत-न्यूजीलैंड का सेमीफाइनल मुकाबला खेला जाएगा, वह घास हटने से धीमी हो जाएगी. यानी फास्टर्स की तुलना में स्पिनर्स यहां ज्यादा प्रभावी हो सकते हैं. हालांकि इस पिच से इतना ज्यादा टर्न मिलने की भी संभावना नहीं है. कुल मिलाकर अब पहली पारी की तरह ही दूसरी पारी में भी बल्लेबाजों की बल्ले-बल्ले हो सकती है.
टीम इंडिया को होगा फायदा
पिच के धीमी होने से भारतीय टीम ज्यादा फायदे में रहेगी. दरअसल, भारतीय मैदानों की पिचें आमतौर पर धीमी ही होती हैं. ऐसे में भारतीय खिलाड़ियों को इन धीमी पिचों पर खेलने की आदत है. पिछले कुछ सालों में टीम इंडिया ने इन धीमी पिचों पर विपक्षी टीमों को खूब मैच हराए हैं.
अब तक कैसा रहा पिच का मिजाज?
वर्ल्ड कप 2023 में वानखेड़े पर अब तक चार मुकाबले खेले गए. यह चारों मैच भी डे-नाइट रहे. इन सभी मुकाबलों में पिच का मिजाज एक जैसा रहा. यहां पहले बल्लेबाजी करने वाली टीमों ने बड़े स्कोर बनाए और जवाब में रन चेज़ करने वाली टीम सस्ते में ढेर हो गई. यहां दोपहर में तो बल्लेबाजी आसान रही है लेकिन रात के वक्त दूसरी पारी में नई गेंद ज्यादा और देर तक स्विंग होते देखी गई.
यहां दूसरी पारी में शुरुआती 20 ओवर बल्लेबाजों के लिए बुरे सपने की तरह रहे हैं. हालांकि 20 ओवर के बाद यहां बल्लेबाजी दोपहर से भी ज्यादा आसान रही है. यानी अगर रन चेज करने वाली टीम किसी तरह शुरुआती 20 ओवर निकाल दे तो उसकी जीत संभव है. ऐसा ही कुछ ऑस्ट्रेलिया-अफगानिस्तान मैच में हुआ था. इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने 100 रन के भीतर ही 7 विकेट गंवा दिए थे लेकिन इसके बाद ऑस्टेलिया ने बिना विकेट खोए 200 रन जोड़कर अफगानिस्तान को हराया था.
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