मोदी सरकार ने किया अंग्रेजों के बनाए कानूनों का The End, फिर भी ओवैसी क्यों हैं खफा?

Indian legal system: बहुत जल्द देश में अंग्रेजों के बनाये 3 बड़े कानून खत्म हो जाएंगे और उसकी जगह नए भारत के नए कानून ले लेंगे. इसका मतलब ये हुआ कि IPC यानी इंडियन पीनल कोड, CRPC यानी क्रिमिनल प्रोसीजर कोड और तीसरा इंडियन एविडेंस कोड. ये तीनों पुराने कानून खत्म हो जाएंगे. इनकी जगह भारत सरकार के बनाए तीन संशोधित कानून प्रभावी होंगे.

इसके लिए आज गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किये. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के कानून में ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करना और उसे मजबूती देना कानून का मकसद था. जनता को न्याय से उसका सरोकार नहीं था. लेकिन तीनों नए संशोधित कानून भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेंगे.

दूसरी तरफ सरकार की इस कोशिश से AIMIM के मुखिया बैरिस्टर ओवैसी साहब नाराज हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि नए कानून से सरकार को गैरजरूरी ताकतें मिलेंगी और जनता के अधिकारों के साथ खिलवाड़ होगा. सवाल ये उठता है कि असदुद्दीन ओवैसी के आरोपों के मायने क्या हैं. कानून में सुधार पर आखिर तकरार क्यों है? आखिर नये कानून पर आपत्ति क्यों जताई जा रही है?

ओवैसी का एतराज प्वाइंट्स में समझें..

-3 नए कानून सरकार को ज्यादा ताकत देंगे 
-जुर्म, कोर्ट, पुलिस के लिहाज से बड़े बदलाव
-मासूम लोगों के हक के साथ खिलवाड़
-मोदी सरकार के तीनों नए कानूनों का विरोध
-बिना अपील, दलील, वकील वाले हर कानून का विरोध
-नए कानूनों पर अपना रुख साफ करे विपक्ष 
-विपक्षी दल बताएं कानूनों का साथ देंगे या विरोध करेंगे?
-स्टैंडिंग कमेटी के सांसद साथ देंगे या विरोध करेंगे? 

केंद्र सरकार ने भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में सुधार के लिए शुक्रवार को लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए. ये तीनों कानून देश में ब्रिटिश काल से लागू हैं. इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार का लक्ष्य न्याय सुनिश्चित करना है, सजा देना नहीं. उन्होंने कहा, जिन कानूनों को निरस्त किया जाएगा, उन कानूनों का फोकस ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करना था और उन्हें मजबूती देना था. उन कानून में दंड देने का विचार था, न्याय देना नहीं. अब नए तीनों कानून भारतीय नागरिक के अधिकारों की रक्षा करेंगे.

पहला भारतीय न्याय संहिता 2023 बिल. दूसरा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 बिल और तीसरा भारतीय साक्ष्य अधिनियम बिल. तीनों बिल पेश करते समय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को आगे की जांच के लिए संसदीय पैनल के पास भेजा जाएगा. नए कानून में हमारा लक्ष्य सजा देना नहीं है, बल्कि न्याय दिलाना होगा. प्रधानमंत्री जी ने गत 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश के सामने 5 प्रण रखे थे. उनमें से एक प्रण था कि हम गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त कर देंगे. ये तीनों विधेयक मोदी जी द्वारा लिए गए प्रण में से एक प्रण को पूरा कर रहे हैं.

बदलेगा ‘अंग्रेजों का कानून’

-राजद्रोह कानून पूरी तरह से खत्म होगा
-भगोड़ों के खिलाफ सख्त होगा कानून
-क्राइम सीन पर फॉरेंसिक टीम का जाना अनिवार्य
-नाबालिग से रेप मामले में मौत की सजा का प्रावधान
-मॉब लिंचिंग के खिलाफ बनेगा नया कानून
-तय समय में सरकारी कर्मचारी के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी
-गैंगरेप में 20 साल या आजीवन कारावास की सजा 
-3 साल तक की सजा वाली धाराओं का समरी ट्रायल
-दोषसिद्धि के बाद 30 दिन के भीतर सजा सुनाना जरूरी
-दोषियों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश कोर्ट देगा

‘हेट स्पीच’ पर नया कानून

-अपराध की श्रेणी में शामिल
-धार्मिक भड़काऊ स्पीच भी अपराध 
-3 साल की सज़ा, जुर्माने का प्रावधान
-धर्म को टारगेट करने पर 5 साल की सज़ा

‘महिला सुरक्षा’ पर नया कानून

-गैंगरेप में उम्रकैद या 20 साल की सजा
-नाबालिग से रेप पर मृत्युदंड का प्रावधान
-गलत पहचान बताकर यौन संबंध बनाना अपराध 

‘राजद्रोह कानून’ पर क्या बदला?

-नए बिल में राजद्रोह कानून का नाम खत्म
-अब धारा-150 के तहत तय होंगे आरोप
-आजीवन कारावास या 3 साल तक की कैद
-दोषियों की संपत्ति कुर्की का आदेश कोर्ट देगा
-पुलिस अधिकारी कुर्की के आदेश नहीं देंगे
-आरोपियों पर 3 साल के अंदर होगा फैसला

कानून बनने पर बड़े बदलाव

1-2027 से पहले देश की सभी अदालतें कंप्यूटराइज
2-चुनाव के दौरान वोटर को रिश्वत देने पर 1 साल की सजा
3-छोटे अपराध करने पर कम्युनिटी सर्विस की सजा
4-कहीं से भी दर्ज कराई जा सकेगी E-FIR
5-‘राजद्रोह’ जैसे कानून निरस्त होंगे

‘मॉब लिंचिंग’ पर नया कानून

-हत्या की परिभाषा में जोड़ा गया 
-मौत की सजा का प्रावधान 
-उम्रकैद का भी प्रावधान


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