Rajasthan Assembly Election 2023: क्या कांग्रेस आलाकमान ने छोड़ दिया पायलट का साथ? अब गहलोत के साथ करेंगे दो-दो हाथ

राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन सूब में सत्ता पर काबिज कांग्रेस को बीजेपी व अन्य के मुकाबले खुद के नेताओं से ही ज्यादा खतरा है. राजस्थान कांग्रेस में मचे बवाल की आग शांत होती नजर नहीं आ रही है. समय मिलते ही कांग्रेस नेता सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर देते हैं. वर्तमान में पायलट की एक मांग ने एक बार फिर कांग्रेस के अंदर ही घमासान पैदा कर दिया है.

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने राज्य विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत सरकार के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने वर्तमान की अशोक गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी बीजेपी नेताओं के खिलाफ नरमी बरतने और उन्हें फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है. दिसंबर 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही गहलोत और पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान है. पायलट के वर्तमान के कदम पर कांग्रेस में तनाव बढ़ गया है.

रंधावा का पायलट पर पलटवार
अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पायलट के तरीके पर सवाल खड़ा करते हुए इसे पूर्ण रूप से गलत बताया है. रंधावा का कहना है कि अगर कोई बात थी तो पहले उन्हें उनके सामने उठाना चाहिए था. पिछले साल दिसंबर में राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी बने रंधावा ने कहा कि उन्होंने दिसंबर से अब तक 20 बार से ज्यादा पायलट के साथ बैठक की है लेकिन कभी भी पायलट ने ऐसी कोई बात सामने नहीं रखी. हालांकि, उन्होंने कहा कि वो पायलट से मिलकर बात करेंगे.

न्यूज एजेंसी पीटीआई से उन्होंने कहा, ‘हमने गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ कार्रवाई की, यहां तक कि उन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी दायर किया. दूसरी बात यह है कि हमने राजस्थान में जो किया है, किसानों के कर्ज माफ करने, बिजली बिल पर, सिलेंडर पर सब्सिडी, पुरानी पेंशन योजना वापस लाने जैसी योजना, उन्हें (पायलट) उस बारे में बात करनी चाहिए थी और फिर कहना था कि अब हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी. लेकिन यह उचित नहीं था.’


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