साउथ अफ्रीका में कोविड-19 का सबसे खतरनाक वेरिएंट मिला है. कोरोना के इस वैरिएंट का नाम XBB.1.5 ‘क्रैकेन वैरिएंट’ है. यह तेजी से फैलने वाला वेरिएंट हैं. इस वेरिएंट के पहले मामले की पुष्टि के बाद से स्टेलनबॉश यूनिवर्सिटी के रिसचर्स कोरोना के संदिग्ध मरीजों के जिनोम सिक्वेंसिंग में जुट गए हैं. स्टेलनबॉश यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर एपिडेमिक रिस्पांस एंड इनोवेशन के डायरेक्टर के पद पर काम करने वाले तुलियो डी ओलिवेरा के मुताबिक, कोविड का ये स्ट्रेन काफी खतरनाक और तेजी से फैलने वाला है.
हालांकि, साउथ अफ्रीका में इसका सिर्फ एक ही मरीज मिला है और इससे कोरोना के मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं हुई है. जानकारी के मुताबिक कोरोना का ये स्ट्रेन जापान और अमेरिका में भी कहर बरपा चुका है. अमेरिका में कोरोना के इस वेरिएंट की वजह से मरीजों की संख्या अचानक दोगुनी हो गई थी.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भी कोरोना के XBB.1.5 वेरिएंट को सबसे खतरनाक और तेज संक्रमण वाला सब वेरिएंट बताया है. जानकारी के मुताबिक ये स्ट्रेन कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट का एक सब वेरिएंट है. इसे ‘क्रैकेन’ के नाम से पुकारा जा रहा है.
समस्या ये है कि इसके लक्षणों और बाकी के वेरिएंट के लक्षणों में फर्क कर पाना बहुत मुश्किल है क्योंकि इसके अंतर की कोई रिपोर्ट मौजूद नहीं है. हालांकि, इससे कोरोना के प्रोटोकॉल को फॉलो करके, वैक्सीन से विकसित होने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली से या पहले से मौजूद कोरोना के एंटीबॉडी से बचा जा सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कोरना का ये वेरिएंट दुनियाभर के 29 देशों तक पहुंच चुका है. अमेरिका में ये वेरिएंट तबाही का सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है. वहां इस वेरिएंट के मरीजों की संख्या कुल मामलों में 41 परसेंट हैं. हालांकि, चीन की सरकार ने स्पष्ट किया है कि ये वेरिएंट उनके यहां नहीं पहुंचा है, इससे कोई खतरा नहीं है. इस वेरिएंट को ब्रिटेन में भी पाया गया है.
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