नई दिल्ली ॥ एजेंसी
कोरोना संक्रमण से बचने के लिए शुरू वर्क फ्रॉम होम कल्चर ने बड़े और महंगे मकानों की मांग बढ़ा दी है। जुलाई-सितंबर तिमाही में देश के सात प्रमुख शहरों में बिके कुल मकानों में 40 लाख से 80 लाख रुपये कीमत के मकानों की हिस्सेदारी बढक़र 41 फीसदी पहुंच गई। 80 लाख से 1.5 करोड़ रुपये कीमत के मकानों की हिस्सेदारी 25 फीसदी रही।इस दौरान कुल बिक्री में किफायती मकानों की मांग घटकर 24 फीसदी रह गई। एनारॉक समूह के चेयरमैन अनुज पुरी का कहना है कि वर्क फ्रॉम होम कल्चर की वजह से लोगों में बड़े और महंगे मकानों की मांग बढ़ी है। इसमें आईटी/आईटीईएस क्षेत्र में लगातार हो रही भर्तियों की भी अहम भूमिका रही है। प्रॉपटाइगर डॉट कॉम के आंकड़ों के मुताबिक, बड़े मकानों की मांग में तेजी की वजह से मुंबई जैसे शहरों में तीन बेडरूम वाले मकानों की कीमतें सालाना आधार पर चार फीसदी से ज्यादा बढ़ गई है, जबकि एक और दो बेडरूम वाले मकानों की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
बढ़ सकती हैं कीमतें
संपत्ति सलाहकार नाइटफ्रैंक का कहना है कि छह-सात साल तक कीमतों में लगातार गिरावट के बाद दाम धीरे-धीरे बढऩे लगे हैं। हालांकि, मांग में तेजी के अनुरूप कीमतें नहीं बढ़ रही हैं। इसके बावजूद अगले चार-पांच वर्षों में देशभर में मकान की कीमतों में वर्तमान स्तर के मुकाबले 1.3-1.4 गुना इजाफा देखने को मिल सकता है।
बिक्री में दोगुना इजाफा
देश के सात प्रमुख शहरों में सितंबर तिमाही में मकानों की बिक्री सालाना आधार पर दोगुना बढक़र 60,000 इकाई पहुंच गई। इस दौरान नए लॉन्च में सालाना आधार पर 90 फीसदी तक तेजी रही। संपत्ति सलाहकार कंपनियों का कहना है कि टीकाकरण अभियान में तेजी, वित्तीय, आईटी एवं आईटीईएस क्षेत्रों में भर्तियां बढऩे और होम लोन की ब्याज दरें ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर आने की वजह से देशभर में मकानों की मांग बढ़ी है। उनका कहना है कि आपूर्ति के मुकाबले मकानों की मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है, इसलिए आने वाले समय में कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। एनारॉक के मुताबिक, सितंबर तिमाही में सात प्रमुख शहरों में मकानों की औसत कीमत तीन फीसदी बढ़ी है।
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