ब्लैक फंगस को लेकर मानवाधिकार आयोग ने शिवराज सरकार को भेजा नोटिस, इन 6 सवालों के मांगे जवाब

भोपाल: मध्य प्रदेश में मानवाधिकार आयोग ने राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा की याचिका पर संज्ञान लेते हुए सरकार को नोटिस भेजा है. नोटिस जारी करते हुए आयोग ने सरकार से 6 प्रश्न पूछे हैं.

आयोग ने सरकार से इंजेक्शन को लेकर क्या व्यवस्था हो गई है ? म्यूकोरमाइकोसिस से अब तक एमपी में कितनी हुई मौत? कालाबाजारी के खिलाफ अब तक क्या एक्शन लिया गया ? कोरोना वायरस के तीसरी लहर को लेकर सरकार की व्यवस्थाएं क्या हैं प्रश्न पूछे हैं. साथ ही जवाब के लिए सरकार को 28 मई तक का समय दिया है.

आपको बता दें कि विवेक तन्खा ने ब्लैक फंगस और कोविड-19 के इलाज को लेकर सवाल उठाए हैं. जिसे लेकर उन्होंने मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेंद्र जैन को याचिका भेजी थी.

याचिका में कही गई ये बात
याचिका में कहा गया, प्रथम विश्व युद्ध के संभवतः सौ वर्षों बाद हमारे सामने ऐसा कठिन समय आया है जब विश्व में कोविड-19 की फैलाई गई तबाही से मानवता फिर खतरे में हैं. हमारा प्रशासनिक ढांचा पूरी मेहनत और लगन से इससे उबरने में लगा हुआ है. डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, शासकीय और निजी अस्पताल, हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स, पुलिस प्रशासन और अनगिनत योद्धाओं के लिए आज स्थिरता का कोई अस्तित्व नहीं, सभी अपने कर्तव्यपथ पर डटे हुए हैं. कोविड-19 के साथ अब म्यूकरमाइकोसिस -ब्लैक फंगस के भी मामले सामने आने लगे हैं. इंदौर, भोपाल और जबलपुर जैसे शहरों में इससे बड़ी संख्या में मरीज मर रहे हैं. प्रशासनिक व्यवस्थाएं कम पड़ रही हैं जिसकी आड़ में अव्यवस्था फैलती जा रही है. चाहे वह चिकित्सा का क्षेत्र हो या फिर नागरिक आपूर्ति जैसा महत्वपूर्ण क्षेत्र, सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स व नर्सेस की कमी, ऑक्सीजन और वेन्टीलेटर्स की कमी, दवाइयों की कमी की आड़ में नकली दवाईयों की सप्लाई जैसी कितनी ही समस्याओं से प्रदेश जूझ रहा है.

प्रशासन पर आरोप
आगे कहा गया कि प्रशासनिक व्यस्तता की आड़ में मानवता के दुश्मन तैयार हो गए है जिनका उद्देश्य सिर्फ मुनाफा कमाना है. इन दुश्मनों द्वारा शुरू की गई नकली दवाओं और इंजेक्शन की सप्लाई भारी तबाही ला सकती है. आज ठीक वैसा ही समय है जब एक बार फिर जीवन और स्वतंत्रता खतरे में है तो मानवाधिकार चुप कैसे बैठ सकता है. आज सिर्फ कोरोना और ब्लैक फंगस के मरीज ही नहीं दूसरी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों का ख्याल रखना भी आवश्यक है. प्रदेश में कई मरीजों को जरूरी दवाईयां नहीं मिल पा रही हैं.अस्पतालों में मरीजों को नकली इंजेक्शन दिए जा रहे हैं जिससे उनकी मौतें हो रही हैं. पता ही नहीं चल रहा की मौत बीमारी से है या नकली दवाओं से. कोई आंकड़े नहीं हैं, अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ रहे हैं,बाहर बैठे मरीज बिस्तर पर लेते मरीजों के मरने का इन्तजार कर रहे हैं. जब कोरोना से जूझ रहा पिता अपनी आखिरी सांसें बच्चों के लिए सुरक्षित रख रहा है तो पिता और बच्चे दोनों की ठहरती हुई सांसों को वापस लाने गारंटी मानवाधिकार की ही है. अन्यथा खाली हाथ लौटे मानवाधिकार का कोई अस्तित्त्व नहीं.

पूर्व मुख्यमंत्री ने भी लगाए आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी सरकार पर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस से मरीज मर रहे हैं, सरकार को फिक्र नहीं है. न ही सरकार ने कोई खास तैयारी की है.अब प्रदेश में ऑक्सीजन, रेमडेसिविर की कमी की तरह ही ब्लैक फंगस बीमारी में उपयोग में आने वाले आवश्यक इंजेक्शन की कमी से जनता रोजाना जूझ रही है. इसकी कमी के कारण मरीजों की जान जा रही है. मरीज के परिजन इसके लिये दर-दर भटक रहे हैं. प्रदेश में अभी तक करीब 500 मरीज इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं, लेकिन जरूरी इंजेक्शन की कमी से उनकी यह बीमारी भयावह होती जा रही है.

जबकि लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी का कहना है कि कोरोना मरीजों के इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड का 40 प्रतिशन पैकेज बढ़ाया गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस के लिए भी इंजेक्शन व दवाई मंगाई जा रही है.


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