वॉशिंगटन: भारत और दक्षिण अफ्रीका विश्व व्यापार संगठन (WTO) में कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) के व्यापार को पेटेंट की पाबंदी से मुक्त रखने का प्रस्ताव रखने जा रहे हैं. उनकी इस मांग का अमेरिका (US) की रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े 4 सांसदों ने विरोध किया है. उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडेन से अपील की है कि वे WTO में भारत-दक्षिण अफ्रीका की इस मांग को स्वीकार न करें.
अमेरिका के 4 सांसदों ने जो बाइडेन को लिखा पत्र
रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े सांसद माइक ली, टॉम कॉटन, जोनी एमस्ट और टॉड यंग ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को पत्र लिखा है. पत्र में सांसदों ने कहा कि भारत, दक्षिण अफ्रीका (India-South Africa) और अन्य देश कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) संबंधी नई खोजों को पेटेंट व्यवस्था से मुक्त रखने का प्रस्ताव विश्व व्यापार संगठन (WTO) में ला रहे हैं. उन्होंने कहा है कि इन देशों का मानना है कि यदि अमेरिकी कंपनियों की ओर से विकसित बौद्धिक सम्पदा की रुकावट हट जाए तो कोरोना वैक्सीन के कारोबार में बहुत सारी दूसरी कंपनियां भी अपना योगदान देने लगेंगी.
भारत-दक्षिण अफ्रीका का प्रस्ताव न मानने की अपील
चारों सांसदों ने दावा किया कि वास्तविकता इन देशों के प्रस्ताव से उलट है. यदि इन देशों का प्रस्ताव मान लिया जाता है तो उन अमेरिकी (US) कंपनियों के बौद्धिक संपदा अधिकार का हनन होगा, जिन्होंने सबसे कम वक्त में जीवन रक्षक कोरोना टीकों का विकास किया. सांसदों ने पत्र में लिखा कि यदि कुछ देश सोच रहे हैं कि अमेरिका की बौद्धिक संपदा छीन कर वे लाभ में रहेंगे तो यह उनकी भूल है. कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) के व्यापार को WTO और बौद्धिक संपदा अधिकार व्यवस्था (TRIPS) की शर्तों से मुक्त कर दिया गया तो कंपनियां नए टीकों के अनुसंधान पर खर्च करना बंद कर देंगी. उन्होंने राष्ट्रपति बाइडेन से अपील की कि वे WTO में इस विषय में आने वाले प्रस्तावों को निरस्त कराएं.
कोरोना वैक्सीन को पेटेंट से बाहर रखने की भारत की मांग
इससे पहले अमेरिका (US) के सैकड़ों गैर-सरकारी संगठनों और तीन प्रमुख सांसदों ने बाइडेन से अपील की थी कि वे कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) को पेटेंट के दायरे से बाहर करें. सांसद और प्रतिनिधि सभा में विनियोग समिति की सभापित डीलाउरो ने कहा था कि कोरोना महामारी के लिए किसी देश की सीमा के कोई मायने नहीं है. उन्होंने कहा कि कोरोना वैक्सीन का विकास और उसे पूरी दुनिया में पहुंचाना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि भारत और दक्षिण अफ्रीका ने WTO में छूट का जो मुद्दा उठाया है, उसका समर्थन किया जाना चाहिए. इससे पूरी दुनिया में कोरोना की जांच, इलाज और टीकाकरण की रफ्तार बढ़ेगी. साथ ही दुनिया में कोरोना महामारी का मुकाबला करने में मदद मिलेगी.
पेटेंट करने वालों को मिल जाते हैं कई सारे अधिकार
बता दें कि बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार संबंधी पहलुओं (TRIPS) में नई खोज करने वाली कंपनियों को कई विशेषाधिकार दिए गए हैं. WTO में व्यवस्था है कि ऐसी कंपनियों को दवाओं, उनकी जांच और उत्पादन की प्रौद्योगिकी पर लंबे समय तक एकाधिकार दिया जाता है.
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