Nepal पहुंचे Jinping के दूत का विरोध-प्रदर्शन से हुआ स्वागत, सड़कों पर उतरे लोगों ने लगाए चीन विरोधी नारे

काठमांडू: नेपाल (Nepal) के राजनीतिक संकट को सुलझाने के नाम पर चीन द्वारा की जा रही दखलंदाजी से काठमांडू में चीन विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. रविवार को बड़ी संख्या में लोगों ने सड़कों पर उतरकर नारेबाजी की और बैनर-पोस्टर भी लहराए. इन पोस्टरों में चीनी हस्तक्षेप बंद करने के साथ ही ड्रैगन द्वारा कब्जाई गई जमीन वापस लौटाने की मांग की गई. ये प्रदर्शन ऐसे समय हुए जब कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) की सेंट्रल कमेटी के अंतरराष्ट्रीय विभाग के उप-मंत्री गूओ येझोउ (Guo Yezhou) नेपाल के राजनीतिक विवाद को हल करने के मिशन पर काठमांडू पहुंचे हैं.

राष्ट्रपति से मिल चुकी हैं Yanqi
चीन (China) के विशेष दूत गूओ येझोउ (Guo Yezhou) के काठमांडू दौरे को नेपाल (Nepal) के आंतरिक मामलों में दखल के रूप में देखा जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के खास दूत सबसे पहले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनके प्रमुख प्रतिद्वंदी पुष्प कमल दहल प्रचंड से मुलाकात कर सुलह करवाने का प्रयास करेंगे. इससे पहले, काठमांडू में तैनात चीनी राजदूत हाओ यांकी (Hou Yanqi) ने राष्ट्रपति से मुलाकात की थी. साथ ही उन्होंने पीएम ओली और दहल से मिलने का समय मांगा है.

2018 में भी आए थे Yezhou
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बेहद खास माने जाने वाले गूओ येझोउ ने इससे पहले 2018 में नेपाल का दौरा किया था. कहा जाता है कि येझोउ की पहल पर ही नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ ऑनलाइन ट्रेनिंग सेशन आयोजित किया था. इस बार गूओ येझोउ के साथ चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी नेपाल पहुंचा है. दरअसल, चीन को समझ आ गया है कि नेपाल में चल रहे गतिरोध को दूर करना उसकी राजदूत हाओ यांकी के बस की बात नहीं है. इसलिए उन्होंने अपने खास दूत को काठमांडू भेजा है, ताकि स्थिति संभाली जा सके.

Oli के जवाब का इंतजार

खबरों के मुताबिक, प्रचंड ने गूओ येझोउ से मुलाकात करने की हामी भर दी है, जबकि ओली की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है. बता दें कि बीते सप्ताह नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली (K.P. Sharma Oli) ने संसद को भंग कर दिया था. इसके बाद माना जा रहा है कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (Nepal Communist Party) दो फाड़ हो चुकी है. चीन को चिंता है कि यदि नेपाल में सियासी गतिरोध ऐसे ही चलता रहा तो उसके हित प्रभावित हो सकते हैं, इसलिए वो जल्द से जल्द इस संकट को हल करना चाहता है.


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