हैदराबाद: भारत में कोरोना वायरस वैक्सीन का विकास कार्य काफी तेजी से जारी है. दुनिया भर के तमाम देशों को भारतीय में बन रही कोवैक्सीन का इंतजार है.इसी बीच तेलंगाना के हैदराबाद में बुधवार को 64 देशों के राजदूतों ने यहां के भारत बायोटेक और बॉयोलॉजिकल ई फैसिलिटी का दौरा किया, जहां कोरोनावायरस के लिए टीके विकसित किए जा रहे हैं. एयर इंडिया के एक विशेष विमान से हैदराबाद पहुंचने के बाद, एशिया, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया के राजदूत और उच्चायुक्त दोनों कंपनियों का दौरा करने के लिए शहर के बाहरी इलाके जीनोम वैली पहुंचे.
विदेश मिशन के प्रमुखों की यात्रा का बंदोबस्त विदेश मंत्रालय (एमईए) द्वारा किया गया था और कोविड टीकों के निर्माण और वितरण के लिए साझेदारी विकसित करने के भारत के प्रयासों का हिस्सा था. पिछले महीने, राजनयिकों को देश में चल रहे टीकों के परीक्षणों पर और खुराक बनाने और वितरित करने के प्रयासों के बारे में जानकारी दी गई थी. अधिकारियों ने कहा कि राजनयिकों को दो बैचों में बांटा गया था और उन्होंने टीकों के निर्माण के लिए विकसित फैसिलिटी को देखने के लिए दोनों कंपनियों का दौरा किया. दोनों कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने दूतों को टीके के विकास में अब तक हुई प्रगति और टीकों को नियामकों से मंजूरी मिलने के बाद दोनों कंपनियों की लॉन्चिंग योजनाओं के बारे में जानकारी दी.
भारत बायोटेक के वैक्सीन कार्य को राजदूतों ने सराहा
भारत बायोटेक में, प्रतिनिधिमंडल को अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. कृष्णा एला द्वारा कंपनी के टीका विकास कार्यक्रम के बारे में बताया गया. प्रतिनिधियों को भारत बायोटेक की शोध प्रक्रिया, विनिर्माण क्षमताओं आदि के बारे में बताया गया. राजदूतों ने कंपनी के राष्ट्रीय और वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व के काम की सराहना की. भारत के स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सिन को भारत बायोटेक द्वारा इंजियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के सहयोग से विकसित किया गया है. इस स्वदेशी टीके को भारत बायोटेक के बीएसएल-3 (बायो-सेफ्टी लेवल 3) बायो-कन्टेनमेंट फैसिलिटी में विकसित और निर्मित किया गया है.
वैक्सीन के मामले में मील का पत्थर साबित होगा भारत
वैक्सीन के तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल नवंबर में शुरू हुआ, जिसमें पूरे भारत से 26,000 स्वयंसेवक शामिल थे. भारत बायोटेक की संयुक्त प्रबंध निदेशक सुचित्रा एला ने विदेशी दूतों को संबोधित करते हुए कहा, “कोवैक्सीन का विकास और क्लीनिकल इवैल्यूशन भारत में नोवल वैक्सीनोलॉजी के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. कोवैक्सीन ने सप्लाई और इंट्रोडक्शन के लिए दुनियाभर के कई देशों का ध्यान खींचा है.” बॉयोलॉजिकल ई ने पिछले महीने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीदीसीआई) से अनुमोदन के बाद भारत में अपने कोविड-19 सबयूनिट वैक्सीन कैंडिडेट का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया था. तेलंगाना के मुख्य सचिव सोमेश कुमार ने भी राजनयिकों को संबोधित किया और राज्य की क्षमता का प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि तेलंगाना ने मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व में जबरदस्त प्रगति हासिल की है.
विश्व के लिए वैक्सीन का हब है भारत
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में फार्मा क्षेत्र का कंबाइंड वैल्यू लगभग 50 अरब डॉलर है. हैदराबाद न केवल भारत का, बल्कि पूरे विश्व का वैक्सीन हब है, जिसमें पूरे वैक्सीन के 33 प्रतिशत हिस्से का उत्पादन हैदराबाद में किया जाता है. प्रमुख सचिव उद्योग और आईटी, जयेश रंजन ने भी पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन दिया और राजनयिकों को राज्य की निवेश क्षमता का प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि हैदराबाद फार्मा सिटी एक-दो महीने में ऑपरेशनल हो जाएगा. इसी तरह 500 एकड़ में आउटर रिंग रोड के पास एक मेडिकल डिवाइस पार्क बनाया जा रहा है.
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