आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच हुआ युद्ध विराम, इस देश की फौज करेगी समझौते की निगरानी

नई दिल्ली: नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर पिछले डेढ़ महीने से भीषण जंग में उलझे आर्मेनिया और अजरबैजान में युद्ध विराम हो गया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने मध्यस्थता करते हुए दोनों देशों को युद्ध विराम के लिए राजी किया. यह युद्ध विराम आज रात 12 बजे से लागू हो जाएगा.

रूस की सेनाएं करेंगी युद्ध विराम की निगरानी
व्लादीमिर पुतिन ने मंगलवार को बयान जारी करके कहा कि रूस की सेनाएं इस युद्ध विराम समझौते की निगरानी करेंगी. इसके लिए नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र में रूसी शांति सैनिकों की तैनाती की जा रही है. उन्होंने कहा कि यह युद्ध विराम 10 नवंबर की रात 12 बजे से लागू हो जाएगा. पुतिन ने उम्मीद जताई कि इस समझौते से नागोर्नो-काराबाख में हालात को शांत करने में मदद मिलेगी.

आर्मेनिया ने युद्ध विराम के लिए सैनिकों को दिया आदेश
आर्मेनिया के प्रधानमंत्री Nikol Pashinyan ने कहा कि उन्होंने युद्ध विराम समझौते को लागू करने के लिए अपने सैनिकों को आदेश जारी कर दिया है. Nikol Pashinyan ने फेसबुक पर लिखा कि उन्होंने रूस और अजरबैजान के साथ युद्ध विराम के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. उन्होंने कहा कि यह समझौता करना उनके लिए दुखदाई है. लेकिन लोगों की जान बचाने के लिए यह जरूरी था.

अजरबैजान ने नागोर्नो के Shushi शहर पर कब्जा किया
युद्ध विराम समझौता लागू होने से पहले अजरबैजान की सेना ने नागोर्नो-काराबाख में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शहर Shushi को अपने कब्जे में ले लिया. इसके साथ ही अजरबैजान की सेना नागोर्नो पर कब्जे की दिशा में और आगे बढ़ गई. अजरबैजान के राष्ट्रपति Ilham Aliyev ने कहा कि हमारी जमीन का एक और हिस्सा वापस आ गया है.

ईसाई बहुल है नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र
बता दें कि सोवियत संघ के विघटन के बाद 1991 में नागोर्नो-काराबाख को अजरबैजान को दे दिया गया था. इस प्रांत में अधिकतर आबादी आर्मेनिया ईसाई बहुल है, जिसने अजरबैजान को खारिज करते हुए खुद को स्वायत्त घोषित कर दिया. इसके बाद 1994 से आर्मेनिया की सहायता से नागोर्नो-काराबाख के लोग स्वायत्त शासन चला रहे हैं.


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