ढाका: बांग्लादेश (Bangladesh) में बलात्कारियों (Rapists) को अब मौत की सजा (Death Penalty) दी जाएगी. हालिया घटनाओं को लेकर लोगों के गुस्से को ध्यान में रखते हुए बांग्लादेश की कैबिनेट ने बलात्कार के मामलों में अधिकतम सजा को उम्र कैद से बढ़ाकर मृत्युदंड करने के प्रस्ताव को सोमवार को मंजूरी दे दी. सरकार की तरफ से कहा गया है कि राष्ट्रपति अब्दुल हामिद महिला एवं बाल उत्पीड़न अधिनियम में संशोधन संबंधी अध्यादेश जारी कर सकते हैं, क्योंकि संसद का सत्र अभी नहीं चल रहा है.
9 महीनों में एक हजार मामले
मानवाधिकार संगठन Ain-o-Salish Kendra की एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में हाल के वर्षों में यौन अपराधों में वृद्धि हुई है. जनवरी से सितंबर के बीच लगभग 1,000 ऐसी वारदातों को अंजाम दिया गया, जिसमें पांच में सामूहिक बलात्कार किया गया था. महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को लेकर लोगों में पहले से ही गुस्सा था, लेकिन हाल की एक घटना ने इस गुस्से को भड़का दिया.
इस वजह से भड़का था आक्रोश
कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दिखाया गया था कि दक्षिण-पूर्वी जिले में कुछ लोग महिला को निर्वस्त्र करके घुमा रहे हैं. मानवाधिकार आयोग के मुताबिक, पीड़िता के साथ एक साल से ज्यादा समय से बलात्कार किया जा रहा था. इस वीडियो के सामने आते ही लोग भड़क उठे. बलात्कारियों को फांसी की सजा देने के लिए अभियान शुरू हो गया. राजधानी ढाका में बड़ी संख्या में महिलाओं और स्टूडेंट्स ने सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन किया. इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने अब बलात्कारियों को मौत की सजा देने के फैसले पर मुहर लगा दी है.
कानून मंत्री अनीसुल हक (Law Minister Anisul Huq) ने बताया कि प्रधानमंत्री शेख हसीना (Prime Minister Sheikh Hasina) की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने बलात्कार के लिए मौत की सजा के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति अब्दुल हामिद महिला एवं बाल उत्पीड़न अधिनियम में संशोधन संबंधी अध्यादेश जारी कर सकते हैं, क्योंकि संसद का सत्र नहीं चल रहा है.
विशेषज्ञों की राय जुदा
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि मृत्युदंड से स्थिति सुधरने वाली नहीं है. उनके मुताबिक, जब तक व्यवस्था में पूरी तरह से बदलाव नहीं होता, तब तक सजा बढ़ाकर अपराधियों में खौफ पैदा नहीं किया जा सकता. प्रशासन को इस तरह के मामलों को गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ देखना चाहिए और तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. कमजोर जांच के चलते ज्यादातर मामलों में आरोपी दोषी साबित नहीं हो पाते. इसलिए पहले बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने की जरूरत है.
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