भोपाल: मध्य प्रदेश के बालाघाट और मंडला जिले में गरीबों को घटिया चावल बांटने के मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) कर रही है. वहीं, इस मामले में प्रधानमन्त्री कार्यालय (PMO) ने शिवराज सरकार से रिपोर्ट मांगी थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएम कार्यालय की तरफ से PMO को गुरुवार की देर शाम रिपोर्ट भेज दी गई. जांच में चावल के 57 सैंपल गुणवत्ता के नहीं पाए गए हैं.
PMO को भेजी गई रिपोर्ट में इन बातों का किया गया जिक्र
सीएम कार्यलय की तरफ से पीएमओ को भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ मिलर्स ने धान की मिलिंग कर अच्छा चावल बाजार में बेच दिया और उसकी जगह सरकार को 2 से 3 वर्ष पुराने बारदानों में रखा घटिया चावल दे दिया. रिपोर्ट में कहा गया है कि बालाघाट जिले के 3 गोदामों का निरीक्षण किया गया है. इसमें 3136 मीट्रिक टन और मंडला जिले में 1658 मीट्रिक टन चावल निर्धारित मानकों का नहीं पाया गया. इसलिए निरीक्षण के बाद दोनों जिलों के गोदामों से चावल का परिवहन बंद कर दिया गया है.
सैंपलिंग अब भी जारी
पीएमओ को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि सैंपलिंग लेने की कार्रवाई अब भी जारी है. अब तक कुल 5 संयुक्त दल गठित कर भंडारित चावल के एक हजार से अधिक सैंपल लिए जा चुके हैं. इनमें 284 सैंपल की जांच की जा चुकी है. फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के स्थानीय कार्यलयों के मुताबिक चावल के 72 सैंपल वितरण के लायक हैं, जबकि 57 सैंपल सैंपल मानकों के अनुरूप नहीं हैं. राज्य के सभी जिलों में सैंपलिंग का कार्य इस सप्ताह तक पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद दोषी गुणवत्ता नियंत्रकों की सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी. इके अलावा कम गुणवत्ता का चावल प्रदान करने वाले मिलर्स की भी जांच चल रही है. दोषी मिलर्स के खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी. इस पूरे मामले की जांच EWO से कराई जाएगी.
16.51 लाख मीट्रिक टन धान की कस्टम मिलिंग
पीएमओ को भेजी गई रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि राइस मिलर्स से कस्टम मिलिंग के बाद सरकार के गोदामों में जमा किए जाने वाले चावल के गुणवत्ता निरीक्षण के लिए 15 गुणवत्ता नियंत्रक नियुक्त किए गए थे. इनमें कुछ गुणवत्ता नियंत्रकों ने राइस मिलर्स के साथ घालमेल कर घटिया चावल की गुणवत्ता बेहतर बताकर गोदाम में जमा करवाया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में नवंबर 2019 से जनवरी 2020 तक 26.21 लाख मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया गया. अगस्त 2020 तक मिलिंग के लिए 17.40 लाख मीट्रिक टन धान मिलर्स को प्रदाय किया गया. जबकि मिलर्स ने 16.51 लाख मीट्रिक टन धान की कस्टम मिलिंग कर 11.06 लाख मीट्रिक टन चावल कार्पोरेशन को प्रदान किया गया.
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क्या है पूरा मामला?
दरअसल, केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण काल में राशन दुकानों से बांटा गया चावल घटिया क्वालिटी का था. केंद्र ने रिपोर्ट में कहा था जो चावल मध्य प्रदेश में पीडीएस के तहत बांटा जा रहा है वह इंसानों के खाने योग्य नहीं था. इसके बाद हरकत में आई शिवराज सरकार मामले की जांच ईओडब्ल्यू से करा रही है.
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