नई दिल्ली : भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो (Pengong) के आसपास स्थित सभी ‘रणनीतिक बिंदुओं’ पर सैनिकों और हथियारों की तैनाती महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा दी है. आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि भारतीय सेना ने ऐसा पैंगोंग सो क्षेत्र में ‘एकतरफा’ स्थिति बदलने के चीन की सेना (PLA) के असफल प्रयास के बाद किया.
लद्धाख में चीन का अहंकार चकनाचूर
सूत्रों ने कहा कि सेना ने साथ ही पैंगोंग सो के दक्षिणी तट पर एक क्षेत्र पर अतिक्रमण करने के चीन के ताजा प्रयास को विफल करने के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से लगे सभी क्षेत्रों में समग्र निगरानी तंत्र को और मजबूत किया है. इससे पहले दिन में सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया कि चीन की सेना ने 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात ‘कतरफा’ तरीके से पैंगोंग सो के दक्षिणी तट पर यथास्थिति बदलने के लिए ‘उकसावेपूर्ण सैन्य गतिविधि’ की लेकिन भारतीय सैनिकों ने प्रयास को असफल कर दिया.
बौखलाए चीन ने दी भारत को ये धमकी
विदेशी मीडिया ने चीन की कार्रवाई को उकसावे वाली बताया है वहीं चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के जरिए दी गई धमकी के मुताबिक युद्ध होने पर 1962 से बुरा हाल होगा वहीं चीन पर अमेरिका के विदेशी मंत्री माइक पॉम्पियो ने चेतावनी देते हुए कहा है कि दुनिया में कई देशों की आजादी को चीन जबरन छीन लेना चाहता है.
LAC से LOC तक भारत ने बढ़ाई मजबूती
सूत्रों ने कहा कि शीर्ष सैन्य एवं रक्षा प्राधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में पूरी स्थिति की समीक्षा की है. साथ ही सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने ताजा टकराव को लेकर शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ एक बैठक की. वहीं भारतीय सेना के पैंगोंग सो क्षेत्र स्थित सभी रणनीतिक बिंदुओं पर काबिज होने के साथ, सैनिकों और हथियारों की तैनाती को मजबूती प्रदान करने की जानकारी साझा की गई. भारत ने इस क्षेत्र में विशेष अभियान के लिए तैयार की गई बटालियनों से भी सैनिकों की तैनाती की है
भारतीय वायुसेना की तैयारी
भारतीय वायुसेना ने चीन को परोक्ष तौर पर यह स्पष्ट संदेश देने के लिए पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में रात के समय हवाई गश्त की कि वह पहाड़ी क्षेत्र में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. भारतीय वायुसेना ने साथ ही पूर्वी लद्दाख में अपाचे लड़ाकू हेलीकाप्टरों के साथ-साथ विभिन्न अग्रिम स्थानों पर सैनिकों को पहुंचाने के लिए चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टरों को भी तैनात किया है. भारतीय वायुसेना ने अपने सभी प्रमुख लड़ाकू विमानों जैसे सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 विमान पूर्वी लद्दाख के प्रमुख सीमावर्ती एयरबेस और वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अन्य स्थानों पर तैनात किए हैं.
कूटनीतिक पहल का फायदा नहीं
भारत और चीन ने पिछले ढाई महीनों में कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता की है, लेकिन पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध के समाधान के लिए कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई. पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने के तरीकों को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत के एक दिन बाद छह जुलाई को दोनों पक्षों ने पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. हालांकि, जुलाई के मध्य से यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी. पीएलए गलवान घाटी और कुछ अन्य टकराव के बिंदुओं से पीछे हट गई है लेकिन पैंगोंग सो, देपसांग और कुछ अन्य क्षेत्रों से उसके सैनिकों का पीछे हटने में कोई प्रगति नहीं हुई है.
कोर कमांडर स्तर की वार्ता के पांच दौर में भारतीय पक्ष ने चीनी सैनिकों के जल्द से जल्द पूरी तरह से पीछे हटने और पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में अप्रैल से पहले की स्थिति बहाली पर जोर दिया है.
दोनों पक्षों के बीच गतिरोध पांच मई को पैंगोंग सो क्षेत्र में दोनों सेनाओं के बीच हिंसक क्षड़प के बाद शुरू हुआ था. पैंगोंग सो की घटना के बाद नौ मई को उत्तर सिक्किम में भी इसी तरह की घटना हुई थी. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर है. झड़प से पहले दोनों पक्ष इस बात पर जोर देते रहे हैं कि सीमा मुद्दे का हल होने तक सीमा क्षेत्रों में शांति बरकरार रखना जरूरी है.
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