भोपाल/बांकुड़ा/रायपुर: सायको किलर उदयन दास को कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है. उसने 23 जुलाई, 2016 को अपनी गर्लफ्रेंड की नृशंस हत्या कर दी थी. बांकुड़ा में फास्ट ट्रैक कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुरेश विश्वकर्मा ने आरोपी को हत्या एवं सबूत मिटाने के जुर्म में उम्रकैद के साथ 20 हजार रुपये का जुर्माना भुगतान करने का आदेश भी दिया. दोषी उदयन पर अपने माता-पिता का हत्या करने का भी आरोप है. इस पर रायपुर की कोर्ट से फैसला आना बाकी है.
क्या है मामला
उदयन दास की आकांक्षा से दोस्ती सोशल मीडिया के जरिए हुई थी. उसके जाल में फंसकर आकांक्षा भोपाल आ गई थी. 23 जून, 2016 को आकांक्षा अपने पिता से यह कहकर भोपाल आई थी कि उसका दोस्त उदयन दास उसकी नौकरी अमेरिका में लगवा रहा है. घर से आकांक्षा अपने साथ लैपटॉप, मोबाइल, बैंक पासबुक, आधार कार्ड, वोटर कार्ड एवं ड्राइविंग लाइसेंस लेकर आई थी.
14 बोरी सीमेंट से बनाया था कब्र
आकांक्षा उदयन के भोपाल के साकेतनगर स्थित घर पहुंची. यहां पहुंचने पर उसे पता चला कि उसके साथ धोखा हुआ है. आकांक्षा ने जब झांसा देने का आरोप उदयन पर लगाया तो वह झगड़ा करने लगता. दोनों के बीच इसी बात को लेकर अक्सर झगड़ा होता था. एक महीने तक कमोबेश ऐसा ही होता रहा. इस दौरान आकांक्षा अपने पैरेंट्स से कम ही बात करती थी. आखिरकार 23 जुलाई 2016 को उदयन ने गला दबाकर आकांक्षा शर्मा की हत्या कर दी थी. लाश को एक बक्से में डालकर ऊपर से सीमेंट भरकर चबूतरा बना दिया था.
मर्डर मिस्ट्री देखकर आया था आइडिया
उदयन अंग्रेजी के क्राइस सीरियल देखने का शौकीन था. वॉकिंग डेथ नाम के सीरियल में उसने एक ऐसी ही मर्डर मिस्ट्री देखी थी. यहीं से उसने आकांक्षा के शव को दफन करने का आइडिया निकाला था. आकांक्षा की हत्या उसने तकिए से मुंह-गला दबाकर की थी. हत्या के बाद वह शव को उठाकर दूसरे कमरे में ले गया. यहां पुराना बक्सा खाली किया फिर उसमें शव डाल दिया. करीब एक घंटे बाद उसने बक्से में सीमेंट का घोल भर दिया. बक्से और चबूतरा बनाने में उसे कुल 14 बोरी सीमेंट का इस्तेमाल किया.
आकांक्षा के माता-पिता से वॉट्सएप चैट से करता था बात
उदयन आकांक्षा के मोबाइल फोन से उसके परिजनों से मैसेज के जरिए बात करता रहा और हालचाल बताता रहा. उसने आकांक्षा के माता-पिता से कहा कि लोकल सिम न होने की वजह से वह (आकांक्षा शर्मा) उनसे बात नहीं कर सकती है, इसलिए वह मैसेज के जरिए बात करती है. 5 अक्टूबर 2016 को वह अकेले ही बांकुरा रवींद्र सरणी स्थित आकांक्षा के घर गया था. उसने आकांक्षा के माता-पिता को बताया कि वह अमेरिका में है. यदि वे लोग अमेरिका जाना चाहते हैं, तो वह इसकी व्यवस्था कर देगा. 4 दिन रहने के बाद उदयन 8 अक्टूबर, 2016 को भोपाल आ गया गया. उसने अपना ठिकाना गोविंदपुरा थाना स्थित साकेतनगर बताया था. दिसंबर के अंतिम हफ्ते से आकांक्षा का परिजनों से संपर्क टूट गया था.
2017 में गिरफ्तार हुआ
आकांक्षा के माता-पिता को बेटी का यह व्यवहार कुछ ठीक नहीं लगा. उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने आकांक्षा के मोबाइल की लोकेशन भोपाल में ट्रैक की. इसके बाद परिजन भोपाल पहुंचे, लेकिन आकांक्षा का कुछ पता नहीं चला. जिसके बाद आकांक्षा के पिता शिवेंद्र नारायण शर्मा ने जनवरी, 2017 में बांकुरा में उदयन के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज कराया. पुलिस भोपाल पहुंची और 1 फरवरी को उसे गिरफ्तार कर लिया गया. उदयन ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस पूछताछ में उदयन ने बताया कि रायपुर में उसने अपने माता-पिता को भी 2010 में मार दिया था. हत्या के बाद कथित तौर पर उसने दोनों के शवों को घर में ही दफना दिया था.
कब-कब हुई सुनवाई
बांकुरा कोर्ट के चीफ पब्लिक प्रोसिक्यूटर अरुण कुमार चटर्जी ने बताया कि बुधवार दोपहर करीब 12 बजे फैसला एडिशनल सेशन जज सुरेश विश्वकर्मा के कोर्ट ने सुनाया है. बांकुरा पुलिस ने उदयन के खिलाफ 30 अप्रैल 2017 को केस डायरी समेत करीब 600 पेज की चार्जशीट अदालत में पेश की थी. सितंबर 2017 में चार्ज फ्रेम हुए. 19 गवाहों के बयान और सभी साक्ष्य उदयन के खिलाफ थे. हालांकि अभी रायपुर की अदालत का फैसला आना बाकी है.
उससे पछतावे की क्या उम्मीद-माता-पिता
आकांक्षा के माता-पिता ने फैसले पर खुशी जताई है. उन्होंने कहा कि जिसने मां-बाप तक को मार डाला, उससे पछतावे की क्या उम्मीद रखें. वह जब भी मेरे पति को कोर्ट में देखता तो मुंह फेर लेता था. उसने कभी हमसे माफी मांगने की कोशिश भी नहीं की. उससे माफी की उम्मीद भी नहीं की जा सकती. मेरी बेटी तो अब लौट नहीं सकती, फिर भी चाहते थे कि उसे फांसी ही हो.
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