पोर्टलैंड: डिजिटल फोटोग्राफी (Digital photography) की दुनिया में अहम योगदान देने वाले कंप्यूटर वैज्ञानिक रसेल किर्श (Russell Kirsch) अब दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा. पिक्सेल का आविष्कार करने और दुनिया की पहली डिजिटल तस्वीर स्कैन करने वाले रसेल का 91 साल की उम्र में निधन हो गया, पोर्टलैंड स्थित घर में उन्होने अपनी आखिरी सांस ली.
पिक्सेल यानि डिजिटल डॉट्स का उपयोग फोटो, वीडियो और फोन और कंप्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है. 1957 में ऐसे प्रोजेक्ट पर काम करना आसान नहीं था. चुनौतियों के बीच किर्श ने सबसे पहले अपने बेटे वाल्डेन की 2 इंच चौड़ी और 2 इंच लंबी ब्लैक एंड वाइट (Black and White) डिजिटल इमेज बनाई थी.
ये किसी कंप्यूटर पर स्कैन हुई दुनिया की पहली इमेज थी. स्कैनिंग में उनकी रिसर्च टीम की बनाई डिवाइस का इस्तेमाल हुआ. उस वक्त टीम अमेरिका के राष्ट्रीय मानक ब्यूरो से जुड़ी थी, जिसे आज नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के नाम से जाना जाता है.
किर्श के बारे में 2010 में छपी एक रिपोर्ट (Science News article) में लिखा था कि उनकी उस कामयाबी ने आज के सीटी स्कैन (CT scans), आभासी वास्तविकता (Virtual reality), सैटेलाइट इमेजरी और फेसबुक के भविष्य की नींव रखी. लेख के मुताबिक उस वर्गाकार इमेज की माप एक ओर से 176 पिक्सल थी, जिसमें कुल मिलाकर 31 हजार पिक्सेल थे. जबकि आज के आईफोन 11 (iPhone 11 ) का डिजिटल कैमरा, किसी तस्वीर के करीब 12 मिलियन पिक्सेल कैप्चर कर सकता है.
हालांकि इसके बाद की पीढ़ी के कंप्यूटर कहीं ज्यादा शक्तिशाली और तकनीकि दक्षता से लैस हो गए, लेकिन उस समय पिक्सेल का अविश्कार करना किसी चमत्कार से कम नहीं था. किर्श ने पिक्सल को वर्ग के आकार में पेश किया. पिक्सल की वर्गाकार शेप का मकसद ये था कि इमेज इस तरह बनाई जाए ताकि उसे कई आकार (साइज) दिए जा सकें. 6 दशक पहले किर्श की खोज ने डिजिटल दुनिया में अहम भूमिका निभाई. 2010 में एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में उन्होने पिक्सेल की शेप को वर्गाकार रखने के पीछे की वजह भी बताई. बाद में उन्होने इमेज की क्वालिटी में सुधार के लिए चौकोर की बजाय परिवर्तनीय आकृतियों के साथ पिक्सेल का उपयोग किया.
किर्श का जन्म 1929 में मैनहट्टन में हुआ था, उनके माता-पिता रूस और हंगरी के यहूदी प्रवासी थे. उन्होने ब्रोंक्स हाई स्कूल ऑफ साइंस, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, हार्वर्ड और एमआईटी में शिक्षा प्राप्त की. रलेस ने करीब 5 दशक तक अमेरिका के राष्ट्रीय मानक ब्यूरो में बतौर शोध वैज्ञानिक काम किया था. रसेल किर्श अपने पीछे पत्नी, बेटे और 4 पोते-पोतियों से भरा परिवार छोड़ कर दुनिया को अलविदा कह गए.
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