वॉशिंगटन: अमेरिका (America) में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में 90 दिन से भी कम का समय बचा है. ऐसे में डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों ने अपने आखिरी दांव चलना शुरू कर दिए हैं.
खासबात यह है कि दोनों की ही नजरें अमेरिका में रहने वाले भारतीयों (Indians) पर हैं. राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और डेमोक्रेट्स जो बिडेन (Joe Biden) लगातार भारतीयों से मिल रहे हैं और उन्हें बता रहे हैं कि कैसे वह उनके हितों की रक्षा कर सकते हैं.
डेमोक्रेट्स की कोशिश ट्रंप को वहां चोट पहुंचाने की है, जहां सबसे ज्यादा दर्द हो यानी H-1B वीजा. दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकियों के वोट की खातिर H-1B वीजा को फिलहाल फ्रीज कर दिया है, लेकिन बिडेन ने ऐलान किया है कि यदि वह सत्ता में आते हैं तो पुरानी व्यवस्था बहाल होगी. बिडेन का यह दांव सीधे तौर पर भारतीयों को प्रभावित करने के लिए है, क्योंकि H-1B वीजा पर ट्रंप प्रशासन के रुख का सबसे ज्यादा नुकसान भारतीयों को ही उठाना पड़ा है.
डेमोक्रेट्स का कहना है कि ट्रंप द्वारा वीजा फ्रीज करना गैरकानूनी, अराजक और पूरी तरह गलत है. क्योंकि H-1B जैसे प्रोग्राम अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मदद करते हैं. हर वर्ष दिए जाने वाले 65 हजार से अधिक H-1B वीजा में भारतीयों की हिस्सेदारी 70 फीसदी है, जायज है इसी को ध्यान में रखते हुए डेमोक्रेट्स ने यह दांव चला है.
दूसरी ओर, रिपब्लिकन भारतीयों लुभाने के लिए ‘ग्रीन कार्ड’ को आधार बना रहे हैं. सीनेटर माइक ली ने हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस में इस मुद्दे को उठाया था. उन्होंने कहा था कि ग्रीन कार्ड के आवंटन को सीमित करना, भारतीय प्रवासियों को दंडित करने के समान है. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए ली ने कहा था, ‘यदि आप चीन को छोड़कर किसी दूसरे देश में पैदा होते हैं. मान लीजिये घाना, स्वीडन, इंडोनेशिया, मूलरूप से भारत के अलावा किसी भी अन्य देश में, तो आपके आवेदन पर तुरंत विचार किया जाएगा. यह मेरिट आधारित आव्रजन प्रणाली और हमारे सिद्धांतों के खिलाफ है. भारतीयों के लिए ग्रीन कार्ड की वेटलिस्ट पिछले 200 सालों से चलती आ रही है’.
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