भारत-चीन भारी तनाव के बीच मोदी-पुतिन की बातचीत के क्या हैं मायने?

नई दिल्ली: जब पूरी दुनिया कोविड-19 की वैश्विक महामारी से एक बड़ी लड़ाई लड़ रही है ऐसे वक्त में भारत देश के भीतर इस पैनडेमिक से और अपनी सीमाओं पर पड़ोसी देशों की चालबाजियों से निपटने और उन्हे सटीक जवाब देने में कोई कसर नही छोड़ रहा है.

चीन के खिलाफ डिजीटल स्ट्राइक और हर फ्रंट पर उसे घेरकर उसकी आर्थिक कमर तोड़ने की रणनीति में जुटे भारत को दुनिया के बड़े और शक्तिशाली देशों को साथ मिलता जा रहा है. इसी कड़ी में गुरुवार को भारत के दूरदर्शी कूटनीतिक रणनीति को एक और सफलता मिली, जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन एक दूसरे से फोन पर लंबी बातचीत की.

दुनिया के दो शक्तिशाली देशों के इन लीडर्स नें भारत और रूस के परस्पर द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की. दोनों नेताओं ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के नकारात्मक परिणामों को दूर करने के लिए दोनों देशों द्वारा किए गए प्रभावी उपायों पर बातचीत की और इस वैश्विक महामारी से निपटने की भविष्य की रणनीति पर भी चर्चा की.

दोनों नेताओं की टेलीफोन पर बातचीत में इस बात पर भी सहमति बनी कि द्विपक्षीय संपर्क और परामर्शों की गति बनाए रखी जाएगी, जो इस साल के अंत में भारत में होने वाले वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के आयोजन मे काफी मददगार साबित होगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए भारत में राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत करने के लिए वो उत्सुक हैं. राष्ट्रपति पुतिन ने भी फोन कॉल के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया और सभी क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को फिर दोहराया.

इस बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने द्वितीय विश्व युद्ध में विजय की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर मनाए जा रहे समारोहों की सफलता और रूस में संवैधानिक संशोधनों पर वोट के सफल समापन के लिए पुतिन को बधाई भी दी.


facebook - जनसम्पर्क
facebook - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
twitter - जनसम्पर्क
twitter - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
जिला प्रशासन इंदौर और शासन की दैनंदिन गतिविधियों और अपडेट के लिए फ़ॉलो करें