> केन्द्र की स्टैंडअप योजना से खड़े नहीं हो पा रहे उद्यमी
> 20 प्रतिशत लक्ष्य भी पूरा नहीं कर पा रहे बैंक
> राज्य सरकार से मांगा सहयोग, मांगे हितग्राही
> बैंकों ने कहा, योजना को आकर्षक बनाने के लिए केन्द्र से बात करे राज्य सरकार
> 25 प्रतिशत की मार्जिन मनी जैसे प्रावधानों से ठप हुईयोजना
प्रशासनिक संवाददाता, भोपाल
केन्द्र सरकार ने जिस जोर-शोर से स्टैंड अप इंडिया को लांच किया था, उतना ही बुरा हाल इस योजना का मध्यप्रदेश में हो रहा है। योजना में किसी तरह की राहत, सब्सिडी और छूट आदि नहीं होने से न तो युवाओं का इस योजना की तरफ रूझान बन रहा है और न ही बैंक इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। स्थिति यह है कि मध्य प्रदेश में इस योजना का 15 प्रतिशत लक्ष्य भी पूरा नहीं हुआ है।
भारत सरकार ने कमजोर और पिछड़े वर्गों के साथ-साथ महिलाओं में उद्यमिता के विकास के लिए वर्ष 2016 में स्टैंडअप इंडिया योजना लांच की थी। इस योजना के तहत राष्ट्रीयकृत बैंकों की सभी शाखाओं को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम एक अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा एक महिला को नए व्यापार-व्यवसाय के लिए एक करोड़ तक की वित्तीय सहायता ऋण के रूप में देनी है। मप्र में बैंकों की करीब 7500 हजार शाखाएं हैं। इस हिसाब से करीब 15000 हजार लोगों को इस योजना में ऋण देकर व्यवसाय शुरू कराने का लक्ष्य था। बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश में इस योजना का 20 प्रतिशत टारगेट भी बैंक पूरा नहीं कर पाए हैं। राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक में करीब-करीब हर बार इस योजना के लक्ष्यों की प्राप्ति का मुद्दा उठता है। बैंकों का कहना है कि उनके पास इस योजना के लिए हितग्राही नहीं आ रहे हैं, जिनके कारण योजना के लक्ष्य पूरे नहीं हो पा रहें हैं। हाल ही में 8 फरवरी को हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक में एक बार फिर इस मामले पर चर्चा हुई थी। सूत्रों के अनुसार बैंकों ने कहा कि इस योजना के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी बाधा 25 प्रतिशत की मार्जिन है। चूंकि यह योजना अनुसूचित जाति एवं जनजाति और महिलाओं जैसे कमजोर तबकों के लिए है, इसलिए इतनी अधिक मार्जिन मनी अधिकांश हितग्राही के पास नहीं होती है, जिसके कारण योजना का क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा। इसी तरह इस योजना में किसी प्रकार की सब्सिडी नहीं भी नहीं है। व्यापार-व्यवसाय के लिए इस योजना के स्थान पर हितग्राही मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना को चुनने में दिलचस्पी दिखाते हैं जिसमें सब्सिडी और ब्याज अनुदान जैसी सुविधाएं हैं। यही कारण है कि यह योजना मप्र में पूरी तरह से असफल साबित हो रही है जबकि केन्द्र सरकार की तरफ से योजना के लक्ष्य प्राप्त करने को लेकर बैंकों पर दबाव बनाया जा रहा है। राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक में बैंकों ने इस योजना के सफलतापूर्व क्रियान्वयन के लिए एक स्वर में राज्य सरकार से सहयोग मांगा है। बैंकों का कहना है कि राज्य सरकार केन्द्र से चर्चा कर इस योजना को मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना की तरह आकर्षक बनाने का प्रयास करे, तभी यह योजना सफल होगी।
राज्य सरकार के सहयोग पर
निर्भर हुई योजना
बैंकों की समीक्षा में जब इस योजना की असफलता सामने आने पर बैंकों ने अपने तर्क देकर राज्य सरकार के सहयोग से ही योजना पर अमल करने की बात कही है। चूंकि योजना में प्रत्येक शाखा को अनुसूचित जाति एवं जनजाति के न्यूनतम एक हितग्राही को लोन देना है, इसलिए बैंकों का कहना है कि राज्य का अनुसूचित जाति विभाग और जनजातीय कार्यविभाग उन्हें हितग्राही उपलब्ध कराए। एमएसएमई विभाग के प्रमुख सचिव व्हीएल कांताराव ने बैंकों से कहा कि वे ऐसे आवेदकों के प्रस्ताव राज्य की योजनाओं के तहत भेजे जो इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने के कारण अपात्र हो गए हैं।
सिडबी ने कहा, जिनके प्रकरण
बनें, पैसा नहीं मिला
इस योजना के पोर्टल को सिडबी हैंडल कर रहा है और इसकी मॉनीटरिंग का काम भी इसी बैंक के पास है। बैठक में सिडबी के अधिकारियों ने कहा जितने लोगों ने स्टैंडअप इंडिया में आवेदन किए हैं, उनके प्रकरणों का निराकरण भी बैंक नहीं कर रहे। जिन हितग्राहियों ने सभी पात्रताएं पूरी की हैं, उन्हें भी लोन की राशि जारी नहीं की गई। बैंकों को निर्देश दिए कि वे प्राथमिकता के आधार पर इस योजना के प्रकरणों को निपटाएं।
एमएसएमई विभाग करेगा
हैंड होल्डिंग
इस योजना की असफलता की एक वजह यह भी सामने आई कि जिलों में इस योजना के प्रचार-प्रसार और आवेदकों को सहायता देने के लिए हैंड-होल्डिंग एजेंसी नहीं है, जिसके कारण कई पात्र आवेदक भी इस योजना में आवेदन नहीं कर पाते। एसएलबीसी में इसके लिए राज्य के एमएसएमई विभाग को हैंड होल्डिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई।
ऐसी है योजना की स्थिति
मध्यप्रदेश के अनुसूचित जाति एवं जनजाति बाहुल्य जिलों में इस योजना की हालत बहुत खस्ता है। इसके लिए एमएसएमई विभाग, जनजातीय कार्य विभाग, संस्थागत वित्त और बैंकों के अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई है, जो इन क्षेत्रों में योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए उपाय सुझाएगी। 31 दिसंबर 2017 की स्थिति इस महत्वाकांक्षी योजना में अनूसूचित जाति वर्ग के उद्यमियों के 287 और जनजाति के 124 उद्यमियों ने आवेदन किए। जबकि आवेदन करने वाली महिला उद्यमियों की संख्या 2030 ही रही। यह आंकड़े योजना के कुल लक्ष्य के 20 प्रतिशत से भी कम हैं।
facebook - जनसम्पर्क
facebook - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
twitter - जनसम्पर्क
twitter - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
जिला प्रशासन इंदौर और शासन की दैनंदिन गतिविधियों और अपडेट के लिए फ़ॉलो करें