900 लोगों का पेट भर रही दीनदयाल रसोई

ऊर्जा॥ बायो गैस से रोजाना हो रही है दस हजार रुपए की बचत
सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
राजधानी के सुल्तानिया जनाना अस्पताल के सामने बने यादगार-ए-शाहजहांनी पार्क में स्थित आश्रय स्थल में दीनदयाल रसोई की शुरुआत गरीबों के लिए और बाहर से काम करने आए लोगों को पांच रुपए में खाना मुहैया कराने के उद्ेदश्य के साथ की गई थी। इसके लिए नगर निगम ने पार्क में ही बायो मिथेनाइजेशन प्लांट भी लगाया है और इस प्लांट में शहर से निकलने वाले कचरे से बायो गैस पैदा की जा रही है। इस गैस की वजह से हर दिन 10 हजार रुपए का फायदा दीन दयाल रसोई को हो रहा है। क्योंकि प्लांट में रसोई का चूल्हा एलपीजी गैस की बजाए कचरे से बनी नि:शुल्क बायो गैस से जल रहा है।
प्लांट से 170 मीटर लंबे पाइस से गैस की हो रही है सप्लाई
पार्क के पास स्थित कचरा ट्रांसफर स्टेशन में वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम के तहत रिफ्यूज काम्पेक्टर व बायो मिथेनाइजेशन प्लांट लगाया गया है और यहां बनने वाली गैस दीनदयाल रसोई को मुहैया कराई जा रही है। प्लांट में दो रिफ्यूज काम्पेक्टर स्थापित किए गए हैं, जिनसे रसोई तक गैस सप्लाई के लिए 170 मीटर लंबी पाइप लाइन बिछाई गई है। इस पाइप लाइन से रसोई में गैस सप्लाई की जा रही है, जिससे रसोई का न सिर्फ चूल्हा चल रहा है, बल्कि रोजाना 10 हजार रुपए की एलपीजी गैस की बचत भी हो रही है। दीनदयाल रसोई के मैनेजर विनोद कुमार ने बताया कि रसोई में रोजाना करीब 900 लोगों का खाना बनाया जाता है। जिसे बनाने में रोजाना करीब 8 से 10 एलपीजी गैस सिलेंडर लगते हैं। एक सिलेंडर की औसत कीमत (व्यवसायिक) हजार रुपए के हिसाब से प्रतिदिन 10 हजार रुपए खर्च होते थे। महीने में एलपीजी खर्च का आंकड़ा तीन लाख और साल में 35 लाख 60 हजार रुपए तक पहुंच जाता था। लेकिन बायो गैस के उपयोग से अब इन रुपयों को बचाया जा रहा है।
गैस कम पडऩे पर बेकअप प्लान
दीनदयाल रसोई के कर्मचारी युवराज का कहना है कि हम लोगों बेकअप में एलपीजी सिलेंडर रखते है, ताकि रसोई में आने वाले लोगों को खाना गर्म मिल सकें। कई बार ऐसा हो चुका है कि प्लांट में गैस कम मात्रा में निर्मित हो पाती है। जिसकी वजह से हमें भी बायो गैस कम मात्रा में उपलब्ध हो पाती है। इसलिए बेकअप प्लान में एलपीजी सिलेंडर का उपयोग किया जाता है।
चार घंटे चलती है रसोई
दीनदयाल रसोई आम लोगों केे लिए सुबह 11 बजे खुल जाती है और गरीबों को खाना खिलाने का सिलसिला दोपहर 3 बजे तक चलता है। इस रसोई खास बात यह है यह रसोई मात्र चार घंटे खुलती है और इस चार घंटे के दौराल लगभग 800 से 900 लोगों को पेटभर खाना भी मिलता हैं।


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