महाकवि कालिदास को था वरदान, शास्त्रार्थ में कोई भी परास्त नहीं कर पाएगा

हाकवि कालिदास के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वे जीवन के प्रारंभिक काल में महामूर्ख थे। महाकवि कालिदास भगवती काली की आराधना लगातार बहुत दिनों तक की थे। कालिदास की भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दी थी। कहते हैं कि भगवती ने उन्हें वरदान स्वरूप ऐसा कहा कि तुम्हें शास्त्रार्थ में कोई भी परास्त नहीं कर पाएगा। कालीदास की विद्वता से आज पूरा संसार परिचित है। कालिदास से जुड़ी एक घटना है जो अत्यंत ही रोचक और ज्ञानवर्धक है।
एक बार महाकवि कालिदास किसी बस्ती से गुजर रहे थे। रास्ते में जाते वक्त उन्हें बहुत जोर की प्यास लगी कालिदास के घर में गए और बोले- माते पानी पिला दीजिए बडा पुण्य होगा। घर की महिला बाहर आई और बोली – बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं हूँ अपना परिचय दो। मैं अवश्य पानी पिला दूंगी। कालीदास ने कहा – मैं पथिक हूँ, कृपया पानी पिला दें। स्त्री बोली- तुम पथिक कैसे हो सकते हो, पथिक तो केवल दो ही हैं सूर्य और चन्द्रमा, जो कभी रुकते नहीं हमेशा चलते रहते हैं। तुम इनमें से कौन हो सत्य बताओ।


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