नगर निगम उड़ा रहा शासन आदेश की धज्जियां नगर निगम ने ‘सफाईÓ से किया सलाहकारों को दूर

सच प्रतिनिधि ।। भोपाल
शासन आदेश के बावजूद नगर निगम में कूड़ा-कचरा प्रबंधन सलाहकार समिति का गठन नहीं हुआ है। समिति गठन का प्रस्ताव राजपत्र से बाहर ही नहीं आ पाया है। यही कारण है कि स्वज्छता सर्वेक्षण-2018 का सर्वे हो जाने के बाद शहर की साफ-सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। शासन ने कचरा एकत्रित करने से लेकर कचरे के प्रबंधन की व्यवस्था सलाहकार समिति के माध्यम से करने को कहा है, परन्तु नगर निगम प्रशासन ने यह सारा काम प्रभारी अपर आयुक्त के माध्यम से सहायक स्वास्थ्य अधिकारियों के भरोसे छोड़ दिया है। ऐसे में जबकि स्वज्छता सर्वेक्षण-2018 के प्रावधानों को लागू करने के लिए भी इस समिति की महती भूमिका हो सकती है।
स्वज्छता सर्वेक्षण-2017 में दूसरे नम्बर पर और 2018 में एक नम्बर पर आने के लिए किया गया काम, रिपोर्ट आने से पहले ही धराशाही हो गया है। शहर की सफाई व्यवस्था पुराने ढर्रे पर लौट आई है। प्रदेश सरकार द्वारा जारी राजपत्र में इस समिति को दिए गए अधिकारों के बारे में भी बताया है, इसमें समिति सार्वजनिक कूड़ादानों के स्थानों को चिन्हित करेगी, सफाई कामगारों के लिए सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने, कूड़ा-कचरा व जैव अनाश्य अपशिष्टï में कमी लाने, पुन: उपयोग तथा पुनर्चक्रीकरण को सुनिश्चित करने के लिए जनजागृति का काम भी समिति के माध्यम से किया जाना था। इतना ही नहीं समिति को पर्यावरण प्रदूषण में कमी लाने के लिए उठाए गए कदमों की खोज करने के लिए भी कहा गया था। नगर निगम प्रशासन को नियम 4 के अधीन लाल रंग के कंटेनरों का उपयोग कूड़ा-कचरा प्रबंधन समिति के परामर्श से करना था, परन्तु नगर निगम ने तो कंटेनर रखे और न ही समिति का गठन किया। जैविक और अजैविक कचरा एकत्रित करने के लिए मैदानी स्तर पर अजैविक कचरा एकत्रित करने वाले के लिए ही कंटेनरों को रखा जाना है। नगर निगम स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पता ही नहीं है कि शासन ने कूड़ा-कचरा प्रबंधन सलाहकार समिति गठन के लिए कोई राजपत्र जारी किया है। नगर निगम सीमा का विस्तार हो गया है और कोलार समेत आसपास के 20 गांवों को नगर निगम में शामिल कर लिया गया है। ऐसे में सीमित संशाधन की बात करते हुए नगर निगम प्रशासन साफ-सफाई कार्य पर एकधिकार जमाएं अधिकारियों के भरोसे बैठा है। निगम प्रशासन ने प्रभारी अपर आयुक्त, स्वास्थ्य अधिकारी, एएचओ और दरोगा के माध्यम से साफ-सफाई की व्यवस्था है, लेकिन मैदानी कार्यों के निरीक्षण से अधिकारियों के दूर रहने के कारण सफाई व्यवस्था चरमरा हुई है।

नहीं बनी वार्डवार समिति
मप्र जैव अनाश्य अपशिष्टï नियंत्रण नियम 2006 के नियम 3 के अंतर्गत नगर निगम प्रशासन को कूड़ा-कचरा प्रबंधन परिक्षेत्र में कूड़ा-कचरे के कुशल संग्रहण और डम्पिंग स्थान तक फेंकने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन वार्डवार करना है। इस समिति में वार्ड पार्षद के अलावा दो सम्मानित नामनिर्दिष्टï व्यक्ति और वार्ड के स्वास्थ्य निरीक्षक को लिया जाना था।
सफाई कर्मचारियों की जैकेट गायब
नगर निगम ने सफाई कर्मचारियों को जैकेट दी थी, ताकि पहचान हो सके, यह नगर निगम के कर्मचारी है। स्वज्छता सर्वेक्षण का काम पूरा हो जाने के बाद सफाई कर्मचारियों की जैकेट गायब तो हो ही गई, कचरा उठना भी बंद हो गया। सर्वेक्षण तक नगर निगम जितनी तत्परता से सफाई कर रहा था, वह भी अब नहीं रही। यही कारण है कि भोपाल की सफाई व्यवस्था एक बार फिर पुरान ढर्रे पर लौट गई।
एएचओ, दरोगा के भरोसे वार्ड में सफाई
वार्ड में सफाई व्यवस्था दरोगा के भरोसे है। एएचओ की निगरानी में होने वाली सफाई बीट आधार पर तय की गई है, लेकिन मैदानी अमले की कड़ी में दरोगा की अहम भूमिका होने के बाद भी सफाई के लिए दरोगा की निगरानी के लिए कूड़ा प्रबंधन समिति न होने से सफाई व्यवस्था की उचित निगरानी नहीं होती है। पार्षद भी सफाई व्यवस्था में रूचि नहीं लेते, जिससे शहर में जहां-तहां कचरा पड़ा होना अब आम हो गया है।


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