यात्रियों की जान से खिलवाड़ कर रहा बीसीएलएल, सड़क पर दौड़ रहीं कंडम बसें
सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
शहरी यातायात में बेहतर सुधार हेतु ऑटोमेटिक व्हीकल लोकेटिंग सिस्टम, पैसिंजर एनाउंसमेंट तथा इनफार्मेशन सिस्टम और वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए पब्लिक बाइक शेयरिंग योजना लागू की गई है, लेकिन बीाअरटीएस योजना में ऑटोमेटिक व्हीकल लोकेटिंग सिस्टम (एवीएलएस), बस स्टॉप पर पैसिंजर इनफार्मेशन सिस्टम (पीआईएस) एवं चल रही बसों पर भी पैसिंजर एनाउंसमेंट (पीएएस) इनफार्मेशन सिस्टम (पीआईएस) का प्रावधान था, इसके बाद भी बीआरटीएस योजना में यह काम नहीं कराए गए। इतना ही नहीं लो-फ्लोर बसों से पैसिंजर एनाउंसमेंट तथा इनफार्मेशन सिस्टम गायब है।
स्मार्ट सिटी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में लिए गए निर्णयों पर कितना अमल हुआ है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि लो-फ्लोर बसें यात्रियों की जान से खिलवाड़ कर रही है। सरकार ने लोक परिवहन की अन्य बसों पर सख्ती की है, लेकिन नगर निगम की होल्डिंग कंपनी बीसीएलएल की बसों पर किसी का ध्यान ही नहीं है। दिसंबर 2017 में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में सदस्यों द्वारा बीसीएलएल द्वारा तैयार किए गए प्रस्तावों पर उनकी वित्तीय आवश्यकताओं को देखते हुए अर्बन ट्रांसपोर्ट (शहरी परिवहन योजना) के अंतर्गत ऑटोमेटिक व्हीकल लोकेटिंग सिस्टम (एवीएलएस), बस स्टॉप पर पैसिंजर इनफार्मेशन सिस्टम (पीआईएस) एवं चल रही बसों पर भी पैसिंजर एनाउंसमेंट (पीएएस) इनफार्मेशन सिस्टम (पीआईएस) तथा बढ़ते हुए वायु प्रदुषण पर नियंत्रण के लिए पब्लिक बाइक शेयरिंग (पीबीएस) योजना हेतु कुल 5.80 करोड़ एक वर्ष हेतु सहायता राशि शासन स्तर पर स्वीकृति के संबंध में सहमति प्रदान की गई थी।
बैठक में एवीएलएस 30 लाख प्रतिवर्ष, पीआईएस के लिए 60 लाख प्रतिवर्ष, पीआईएस व पीएएस के लिए 195 लाख, पीबीएस रेंट ए साइकिल योजना के लिए 295 लाख के लिए कुल 5.80 करोड़ रूपये एक वर्ष हेतु सहायता शासन स्तर पर स्वीकृति के संबंध में सहमति दी थी। नगर निगम भोपाल ने बीआरटीएस योजना अहमदाबाद की तर्ज पर तैयार करने की योजना बनाई थी, लेकिन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी योजना बीआरटीएस का एस (सिस्टम) ही नहीं बन सकी। ऐसा नहीं कि भोपाल जैसी समस्याओं का सामना अहमदाबाद नगर निगम प्रशासन को नहीं करना पड़ा था, लेकिन इसके बाद भी देश में सबसे पहले बीाअरटीएस का सफल रन अहमदाबाद में हुआ।
बसें कंडम, फिर भी दौड़ रही
बीसीएलएल की कंडम लो-फ्लोर बसें भोपाल की सड़कों पर दौड़ रही है, लेकिन इनका संचालन-संधारण करने वाली निजी कंपनी बसों का रख-रखाव ही नहीं कर रही। सड़कों पर दौड़ रही बसों में कही कांच नहीं है तो किन्हीं बसों की खिड़की के कांच गायब है।
23.95 किलोमीटर का बीआरटीएस फेल
मिसरोद से बैरागढ़ तक 23.95 किलोमीटर का बीआरटीएस कॉरिडोर है। मिसरोद से बोर्ड आफिस तक वन-वे 7.85 मीटर का है, जिसमें सामान्य यातायात चलेगा। वहीं 6.70 मीटर चौड़े कॉरिडोर में 2.6 मीटर चौड़ी बसें चलेंगी। इस पूरे मार्ग में डेडिकेटेड कॉरिडोर बना हुआ है। हबीबगंज रेलवे क्रासिंग पर रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण किया गया है। इस मार्ग में 3 मीटर चौड़ा मार्ग सायकिल व रिक्शा चालकों के लिए अलग से बनाया जा रहा है। बोर्ड आफिस से अपैक्स बैंक तक वन-वे 10 से 15 मीटर चौड़ा है। यहां नगर निगम ने लो-फ्लोर बसों को सड़क के बायीं ओर चलाने की व्यवस्था की है। सेंट्रल वर्ज तक मिश्रित यातायात रहेगा। सड़क के दोनों ओर 2 से 3 मीटर चौड़ा फुटपाथ भी बनाया है, लेकिन एक तरफ दुकानदारों के कब्जे में है फुटपाथ। टीटी नगर से रोशनपुरा चौराहे तक 32 मीटर चौड़ी सड़क है। 14.5 मीटर चौड़ी वन-वे सड़क पर मिश्रित यातायात में लो-फ्लोर बस चल रही है। रोशनपुरा से किलोल पार्क तक डेडिकेटेड कॉरिडोर 6.70 मीटर का है, जबकि 7.35 मीटर चौड़ा वन-वे मार्ग सामान्य यातायात के लिए है। इस पूरे मार्ग में 2 मीटर का चौड़ा मार्ग सायकिल वालों के लिए तो 1.50 मीटर चौड़ा फुटपाथ भी दिया गया है। किलोल पार्क से शीतलदास की बगिया तक 10.90 मीटर का वन-वे मार्ग है। यहां लो-फ्लोर बसें मिश्रित यातायात के साथ मध्य में चलेंगी। नगर निगम ने इस मार्ग में 5.50 मीटर चौड़ा सर्विस मार्ग भी बनाया है। साथ ही सायकिल मार्ग व फुटपाथ भी बनाया है। कमला पार्क से काला दरवाजे तक के मार्ग में मोती मस्जिद के पास से सदर मंजिल होते हुए वन-वे है।
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