नई दिल्लीः इराक में 2014 में आईएसआईएस द्वारा 40 भारतीयों को अगवा किये जाने के मामले से निपटने के तरीके को लेकर विपक्ष की आलोचना के बीच केंद्रीय मंत्री वी के सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार युद्ध प्रभावित देश में‘ जीवन के प्रमाण’ की तलाश कर रही थी क्योंकि उन्हें मृत घोषित कर देना‘ हमेशा एक आसान रास्ता’ था. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को संसद को सूचित किया कि इराक में 2014 में अगवा किये गए 40 में से 39 भारतीय मारे जा चुके हैं और उन्हें एक सामूहिक कब्र में दफना दिया गया था.
इसके बाद हमलावर रुख अख्तियार करते हुए विपक्ष ने केंद्र पर‘ अंसवेदनशीलता’ के आरोप लगाए. विदेश राज्य मंंत्री वीके सिंह ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘‘ क्या हमारी गलती थी कि हमने अपने देशवासियों के जीवित होने की आशा कि? उन सभी के परिवारवालों को होने वाले दुख को नहीं आंका जा सकता. ईश्वर उन्हें शक्ति दे इस दुख को झेलने की. इस दुख में पूरा देश उनके साथ खड़ा है. परंतु विपक्ष के द्वारा लगाया गया आरोप उनकी नकारात्मकता को ही दर्शाता है. कल्पना करिए यदि उन सभी के जीवित होने की एक प्रतिशत भी संभावना होती और हम सभी उनसे मुंह मोड़ लेते, तो यह हमारे बारे में क्या बताता? यदि भविष्य में भी इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न होगी तो भी हमारी तरफ से कोई कसर नहीं रहेगी. भारतीयों का जीवन इतना सस्ता नहीं. दुख है, मगर इसका मलाल नहीं की हमने 2014 में ही हार क्यों नहीं मान ली. .’’
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