पाल यहां से करीब 13 किमी दूर इस्लाम नगर तक की यात्रा टूरिज्म और फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए बहुत कुछ सहेजे हुए है। चमन महल और रानी महल इसके दो मुख्य आकर्षण हैं। बाड़े की दीवार से घिरे चमन महल में शीश महल, मुगल काल की चार बाग पद्धति का बगीचा, हम्माम जैसी दिलचस्प सुविधाएं हैं।
क्यों खास हैं इस्लामनगर
महल को लाल बलुआ पत्थर, ककिया ईंटों, और चूने का उपयोग कर बनाया गया था। रानी महल रानियों का निवास था। इसका खुला आंगन, धनुषाकार बरामदे, छतरी और पुष्प रूपांकन भी दिलचस्प आकर्षण हैं। हिंदू-मुगल आर्किटेक्चर में बने इस्लाम नगर अपने अतीत की सुंदरता से रूबरू करवाता है।
जब जान बचाकर भागे थे दोस्त मोहम्मद खान
इस्लामनगर की स्थापना सिपाही दोस्त मोहम्मद (1708-1726) ने की थी। पहले यह जगह जगदीशपुर कहलाती थी। औरंगजेब की मृत्यु के बाद की चारों ओर अफरा-तफरी में जब दोस्त मोहम्मद दिल्ली से भाग रहा था, तो उसकी मुलाकात गोंड रानी कमलापति से हुई, कमलापति ने दोस्त मोहम्मद से मदद मांगी थी। वह अपने साथ इस्लामी सभ्यता लेकर आया जिसका प्रभाव उस काल के महलों और दूसरी इमारतों मे साफ दिखाई देता है। आजादी के पहले भोपाल, हैदराबाद के बाद सबसे बड़ा मुस्लिम राज्य था। यहां के शासक नवाब कहलाते थे।
शक्तिशाली निजाम को किला सौंपने पर हो गए थे मजबूर
इस्लामनगर के किला इतिहास इस्लामनगर से काफी गहरा जुड़ा हुआ है। इसे अफगान कमांडर दोस्त मोहम्मद खान ने 1715 में बनवाया था। 1723 में जब निजाम-उल-मुल्क ने इस्लामनगर की घेराबंदी की, तो थोड़े संघर्ष के बाद ही दोस्त मोहम्मद खान शक्तिशाली निजाम को यह किला सौंपने पर मजबूर हो गए। तब उन्हें अपने बेटे यार मोहम्मद खान को निजाम के पास गिरवी रखना पड़ा था। दोस्त मोहम्मद खान के 6 बेटे एवं 5 बेटियां थीं। उसकी मृत्यु के समय सबसे बड़ा बेटा यार मोहम्मद खां गद्दी का हकदार था पर वह हैदराबाद के निजाम के अधीन था। निजाम ने उसे इस्लामनगर की गद्दी का वारिस मान लिया लेकिन इस बीच सुल्तान मोहम्मद खां ने सरदार दोस्त मोहम्मद खान के भाई अकील मोहम्मद खां के सहयोग से नवाब बनने की घोषणा कर दी, पर भोपाल आकर यार मोहम्मद खान ने उसे गद्दी से उतार दिया एवं शासक बना।
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