ताज उल मस्जिद मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में स्थित है। ताज उल मस्जिद भोपाल की सबसे बड़ी मस्जिद है। ताज-उल मस्जिद भारत और एशिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। ताज उल मस्जिद का अर्थ है ‘मस्जिदों का ताजÓ। ताज उल मस्जिद दिल्ली की जामा मस्जिद से प्रेरणा लेकर बनाई गई है। ताज उल मस्जिद में हर साल तीन दिन का इज्तिमा उर्स होता है। जिसमें देश के कोने-कोने से लोग आते हैं।
स्थापना: सिकन्दर बेगम ने ताज उल मस्जिद को तामीर करवाने का ख्वाब देखा था, इसलिए ताज उल मस्जिद सिकन्दर बेगम के नाम से सदा के लिए जुड़ गयी। सिकन्दर बेगम 1861 में इलाहाबाद दरबार के बाद जब वह दिल्ली गई तो उन्होंने देखा कि दिल्ली की जामा मस्जिद को ब्रिटिश सेना की घुड़साल में तब्दील कर दिया गया है। सिकन्दर बेगम ने अपनी वफ़ादारियों के बदले अंग्रेजों से इस मस्जिद को हासिल कर लिया और ख़ुद हाथ बँटाते हुए इसकी सफाई करवाकर शाही इमाम की स्थापना की। ताज उल मस्जिद से प्रेरित होकर उन्होंने तय किया की भोपाल में भी ऐसी ही मस्जिद बन वायेगी। सिकन्दर जहाँ का ये ख्वाब उनके जीते जी पूरा न हो सका फिर उनकी बेटी शाहजहाँ बेगम ने इसे अपना ख्वाब बना लिया।
मस्जिद की विशेषताएं
ठ्ठ ताज उल मस्जिद में सुर्ख लाल रंग की मीनारें हैं, जिनमें सोने के स्पाइक जड़े हैं।
ठ्ठ गुलाबी रंग की इस विशाल मस्जिद की दो सफेद गुंबदनुमा मीनारें हैं, जिन्हें मदरसे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
ठ्ठ इसके चारों ओर दीवार है और बीच में एक तालाब है।
ठ्ठ ताज-उल-मस्जिद का प्रवेश द्वार दो मंजिला है और वह बहुत बेहद ख़ूबसूरत है।
ठ्ठ ताज-उल-मस्जिद के प्रवेश द्वार के चार मेहराबें हैं और मुख्य प्रार्थना हॉल में जाने के लिए 9 प्रवेश द्वार हैं। पूरी इमारत बेहद ख़ूबसूरत है।
ठ्ठ गुलाबी पत्थर से बनी इस मसजिद में दो विशाल सफेंद गुंबद हैं। मुख्य इमारत पर तीन सफेंद गुंबद और हैं।
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