विधानसभा संवाददाता ॥ भोपाल
आदि शंकराचार्य की मूर्ति स्थापना के उद्देश्य से प्रदेश में निकाली गई एकात्म यात्रा पर करोड़ों रुपए की राशि खर्च करने को लेकर आज विधानसभा में विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा। कांग्रेस के डॉ गोविंद सिंह सहित विपक्षी सदस्यों ने कहा कि इस धार्मिक यात्रा में साधु संतों के स्वागत में शासकीय धन का दुरूपयोग किया गया है।
प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस के गोविंद सिंह के सवाल के जवाब में वन मंत्री डॉ गौरीशंकर शेजवार ने बताया कि जन अभियान परिषद द्वारा एकात्म यात्रा का आयोजन किया गया था। इस पर नौ करोड़ रुपए से अधिक का व्यय हुआ है। कांग्रेस विधायकों ने इस यात्रा से प्रदेश और जनता को होने वाले लाभ के बारे में सवाल किए और कहा कि सरकार ने साधु संतों के स्वागत सत्कार में जनता के धन को खर्च किया है। गोविंद सिंह ने एकात्म यात्रा जैसे धार्मिक आयोजनों में शासकीय धन व्यय किए जाने के प्रावधान के बारे में भी पूछताछ की। इस सवाल पर पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच बहस भी हुई। वहीं एक अन्य प्रश्न पर वन मंत्री शेजवार ने बताया कि लघु वनोपज संघ में खरीदी का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। लखन पटेल के बुंदेलखंड पैकेज संबंधी सवाल पर वन मंत्री ने बताया कि बुंदेलखंड पैकेज में भारत सरकार बाकी राशि प्राप्त होते ही अधूरे काम पूरे किए जाएंगे। कुछ काम में अनियमितता पाई गई है, इनकी जांच हो रही है और आरोप पत्र अधिकारियों को दिए गए हैं।
कालेजों की जमीन बेचने का कोई विचार नहीं
भोपाल। राज्य सरकार ने कहा कि विश्व विद्यालय और कालजों की जमीन को बेचने या लीज पर देने का उसका कोई विचार नहीं है। यह जानकारी विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया के सवाल के लिखित जबाव में उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने सदन में दी। सिसौदिया ने पूछा था क्या सरकार विवि और कालेजों की जमीन बेचने या लीज पर देने की तैयारी कर रही है और इसकी जरुरत क्यों पड़ी। इस पर उज्जैन संभाग में किस-किस कालेज की जमीन बेची जा रही है। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि जमीन बेचने या लीज पर देने की कोई योजना नहीं है। एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में उन्होंने बताया कि मंदसौर जिले के किसी भी कालेज की आवंटित भूमि पर किसी भी विभाग या फर्म का अतिक्रमण नहीं है और न ही किसी संस्थान द्वारा किसी प्रकार की कोई दुकान बनाई गई है।
प्रदेश में 14 महीनों में 32 बाघों की मौत
भोपाल। राज्य सरकार ने आज सदन को बताया कि प्रदेश में पिछले 14 महीने में विभिन्न कारणों से 32 बाघों की मौत हुई है। इन मौतों के लिए सरकार ने किसी भी वरिष्ठ अफसर को दोषी नहीं माना है। साथ ही यह भी कहा कि वन कर्मियों की पेट्रोलिंग से वन्य प्राणी अपराधों पर अंकुश लगा है। वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार ने विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार के सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी सदन में दी। उनका सवाल था कि प्रदेश के जंगलों में वर्ष 2017 से फरवरी 2018 तक कब-कब और कितने बाघ मारे गए है। इनकी मौत के क्या कारण रहे और क्या इसमें वरिष्ठ अफसरों की उदासीनता सामने आई है।
वन मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि इस अवधि में 32 बाघों की विभिन कारणों से मौत हुई है। इसमें वरिष्ठ स्तर से कोई गंभीर लापरवाही नहीं पाई गई है। बाघों की मृत्यु के अधिकांश प्रकरण प्राकृतिक, दो बाघों के बीच लड़ाई, बीमारी आदि से संबंधित है। वन्य प्राणियों की हो रही मृत्यु की घटनाओं पर अंकुश लगाने लगाने के लिए वन अधिकारी, कर्मचारी, स्थाई कर्मचारी,ईडीसी और सुरक्षा श्रमिकों द्वारा दिन और रात में गश्ती कर वन क्षेत्रसे गुजरने वाली बिजली लाइनों की चैकिंग, बैरियरसे निकलने वाले वाहनों की चैकिंग आदि नियमित रूप से की जा रही है। इसक अलावा मानसूनी गश्ती कार्य जगह-जगह पेट्रोलिंग कैम्प बनाकर गश्ती की जा रही है, जिससे वन्य प्राणी अपराधों पर अकुंश लगा है। इसके अतिरिक्त वन्य प्राणी अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए स्वान स्क्वॉड, राज्य स्तरीय टाइगर स्ट्राइक फोर्स, पुलिस एवं अन्य सुरक्षा एजेंसियों का भी सहयोग लिया जा रहा है।
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