दो साल से नहीं मिली फीस, अब नहीं देंगे दाखिला
सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
राज्य के निजी स्कूलों ने आरटीई के तहत प्रवेश प्रक्रिया का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। निजी स्कूलों के संगठन के मुताबिक सरकार ने आरटीई के तहत दिए गए प्रवेश के करोड़ रुपए नहीं चुकाए हैं। इसीलिए जब तक सरकार की तरफ से बकाया राशि का भुगतान नहीं किया जाता, तब तक वे आरटीई के तहत 25 फीसदी सीटों पर अपने स्कूलों में प्रवेश नहीं देंगे।
स्कूलों को फीस भुगतान करने की जिम्मेदारी राज्य शिक्षा केंद्र को दी गई है। फीस न मिलने के लिए कारण प्रायवेट स्कूल संचालकों में रोष है। वर्ष 2016 -17 में पढ़ाई कर चुके बच्चों का भुगतान मार्च 2017 तक नियमानुसार हो जाना चाहिए, लेकिन दो साल निकल गया और भुगतान प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई। वर्ष 2017-18 का भुगतान भी मार्च 2018 तक होना चाहिए। आरटीई के तहत प्रदेश के करीब 40 हजार प्रायवेट स्कूलों में पिछले दो वर्षा में लगभग 4 लाख गरीब बच्चों को दाखिला दिया दिया। इन स्कूलों को आरटीई के प्रावधान के तहत अधिकतम 4209 रुपए प्रतिमाह या कोई स्कूल स्कूल कम फीस लेता है तो वास्तविक फीस के आधार पर आरटीई की फीस का भुगतान किए जाने का प्रावधान है।अशासकीय विद्यालय संघ के अध्यक्ष अजीत सिंह का कहना है कि राज्य शिक्षा केंद्र फीस भुगतान को लेकर लगातार नियम बदल रहा है। अब छोटे बच्चों के आधार कार्ड एवं समग्र का मिलान करके मांगे गए हैं। छोटे छोटे बच्चे जो लगभग 4-5 साल के हैं उनके आधार, समग्र एवं स्कूल रिकॉर्ड को आनलाइन मिलान कराना है जो असंभव है। यह तीनों अलग अलग संस्था द्वारा तैयार किए गए हैं, तीनों आनलाइन एक साथ मैच नहीं हो पा रहे हैं। यदि नियम बनाना था तो आरटीई एक्ट के साथ ही बनना चाहिए था। अब डेढ़ वर्ष बाद नियम बनाना पूरी तरह से अव्यवहारिक है।
नहीं चाहिए पुराना भुगतान
निजी स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि समग्र और आधार में स्पेलिंग यदि भिन्न है तो भी रिकार्ड मैच नहीं हो रहा है।ऐसे में भुगतान की उम्मीद करना कल्पना मात्र है। अत: प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन यह निर्णय लिया है कि हम लोग भुगतान नहीं लेगे क्योंकि राज्य शिक्षा केंद्र की भी यही मंशा है कि स्कूलों को भुगतान नहीं किया जाए।
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