मंत्रालय नहीं, टे्रजरी के दलाल ने मांगी थी सरताज से रिश्वत

प्रशासनिक संवाददाता ॥ भोपाल
पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा विधायक सरताज सिंह के मेडीकल बिल को पास कराने के एवज में उनके पीए से रिश्वत मांगने वाला शख्स मंत्रालय का कर्मचारी नहीं बल्कि ट्रेजरी का रिटायर्ड कर्मचारी था। यह रिटायर्ड कर्मचारी ट्रेजरी में दलाली का काम करता है। इस मामले के खुलासे के बाद से ही ट्रेजरी में दलाली करने वाले लोग भूमिगत हो गए हैं।
छह मार्च को जब सरताज सिंह ने इस मामले का खुलासा किया था, उसके बाद से ही प्रदेश की सियायत गर्म है। राज्य मंत्रालय से लेकर विधानसभा और प्रदेश भाजपा मुख्यालय से लेकर मुख्यमंत्री निवास तक इस मामले को लेकर गंभीर है। इस मामले की पड़ताल के बाद सामने आया कि सरताज सिंह के साथ यह वाकया विंध्याचल भवन स्थित राज्य सरकार कोषालय (टे्रजरी) में हुआ था। सरताज के पीए मेडिकल बिल लेकर मंत्रालय की ट्रेजरी पहुंचे थे। वे बिल जमा करने और कब तक भुगतान हो जाएगा, इस बात को लेकर पूछताछ कर रहे थे तभी ट्रेजरी के रिटार्यड कर्मचारी ने सरताज के पीए से कहा- आप इतना परेशान क्यों हो रहे हैं, हमें दे दीजिये, हम कर देंगे। इसके बदले में चाय-पानी के नाम पर उस रिटायर्ड कर्मचारी ने कुछ पैसों की मांग रख दी। इसलिए इस कर्मचारी के नाम और इसकी पहचान का भी खुलासा नहीं हो पा रहा है। पीए भी उस व्यक्ति का नाम नहीं बता पा रहा जिसने रिश्वत की मांग की थी। दूसरी तरफ सरताज सिंह के बयान के बाद से ट्रेजरी में सक्रिय रहने वाले बिचौलिए भी भूमिगत हो गए हैं।
ट्रेजरी के अफसरों का तर्क
ट्रेजरी के अधिकारियों का कहना है की सरताज सिंह के पीए कब आये, किससे मिले तथा किसने उनसे रिश्वत मांगी, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। यदि वे सीधे आकर मिलते तो शायद ऐसी स्थिति नहीं बनती। हालांकि इस मामले में ट्रेजरी के अधिकारी आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहने से बच रहें हैं। क्योंकि इस घटना से एक बात साफ हो गई है कि ट्रेजरी में दलाल सक्रिय हैं और ट्रेजरी के अफसरों का इनको संरक्षण है। ट्रेजरी में आने वाले कर्मचारियों और पेंशनर्स के बिलों को पास कराने का काम यह बिचौलिए करते हैं। इनमें ट्रेजरी से रिटायर हुए कई कर्मचारी भी शामिल हैं।
यह है विधायकों के मेडिकल बिल को प्रक्रिया
विधानसभा सचिवालय में बिल जमा होते हैं। सचिवालय इन बिलों की जांच और सत्यता के परीक्षण के लिए डीएमई यानी चिकित्सा शिक्षा संचालनालय को भेजता है। संचालनालय बिलों की जांच कर भुगतान योग्य राशि को अनुशंसा करता। इस अनुशंसा के बाद विधानसभा सचिवालय अनुशंसित राशि के भुगतान के लिए बिल ट्रेजरी में भेजता है। ट्रेजरी से सीधे खाते में भुगतान होता है।
सरकार गंभीर, सीएम ने की थी सरताज से मुलाकात
इस मामले को लेकर सरकार काफी गंभीर दिखाई दे रही है। सरताज के इस बयान के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5 मार्चको अपने जन्मदिन के दिन उन्हें मुख्यमंत्री निवास पूरे मामले पर चर्चाकी थी। इसके बाद ही सरताज ने कहा था कि उनकी शिकायत सरकार से नहीं, संगठन से है।
सरताज सिंह जी ने खुद कहा है कि उनके पीए से ट्रेजरी में पैसों की मांग की गई। विधानसभा सचिवालय में बिल आते हैं और फिर इन्हें चांज के बाद ट्रेजरी को भेजा जाता है। विधानसभा सचिवालय का इस मामले से लेना देना नहीं है।
– एपी सिंह, प्रमुख सचिव विधानसभा
मैंने तो उल्लेख किया था कि जब एक विधायक के साथ ऐसा हो सकता है तो जनता के साथ क्या होता होगा। क्योंकि मप्र में कहीं भी चले जाएं, ऐसी ही स्थिति है। जनता परेशान है। इस बार का चुनाव राजनीतिक दल नहीं, जनता लड़ेगी।
-सरताज सिंह, भाजपा विधायक


facebook - जनसम्पर्क
facebook - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
twitter - जनसम्पर्क
twitter - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
जिला प्रशासन इंदौर और शासन की दैनंदिन गतिविधियों और अपडेट के लिए फ़ॉलो करें