TDP का मोदी सरकार से निकलने का फैसला, 2019 लोकसभा चुनाव में NDA के भविष्य पर सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) का राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होने का फैसला न सिर्फ मोदी सरकार के लिए पूर्वोत्तर में मिली जीत के रंग में भंग का काम कर रही है, बल्कि 2019 में होने जा रहे आम चुनाव में भी राजग को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है क्योंकि क्योंकि आंध्रप्रदेश से लोकसभा की 25 सीटें हैं. ये करीब उतनी ही सीटें हैं, जितनी की पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में निचले सदन की कुल सीटे हैं. हालांकि टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने राजग के साथ अपने पार्टी के भविष्य पर फैसला फिलहाल नहीं लिया है. भाजपा सूत्रों ने सुझाव दिया है कि टीडीपी सांसदों को केंद्र से निकलना होगा क्योंकि नायडू सरकार में शामिल भाजपा मंत्रियों ने भी प्रदेश सरकार से निकलने का मन बना लिया है.

टीडीपी की घोषणा के बाद एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ‘यह संभव नहीं होगा कि हमारे मंत्री राज्य की चंद्रबाबू सरकार में अपने पद में बने रहें.’ 2019 आम चुनाव के नजरिए से वर्तमान में लोकसभा सीटों पर गौर करें तो भाजपा और टीडीपी दोनों के पास आंध्रप्रदेश में कुल 17 सीट हैं, बाकी की 8 सीटें वाईएसआर कांग्रेस के खाते में है. वहीं कांग्रेस के पास आंध्र में एक भी लोकसभा सीट नहीं है.

राजग सरकार से बाहर आएगी टीडीपी, भाजपा के साथ गठबंधन के दरवाजे अब भी खुले
तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने 7 मार्च की रात केन्द्र की राजग सरकार से हटने का फैसला किया और मोदी सरकार में शामिल अपने दो मंत्रियों से 8 मार्च को इस्तीफा देने को कहा. हालांकि टीडीपी ने भाजपा के साथ संबंध बनाए रखने की गुंजाइश भी छोड़ी है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने आनन फानन में बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में कहा कि टीडीपी ने‘‘ राज्य के हित में दर्दभरा फैसला’’ किया क्योंकि उसके पास‘‘ कोई अन्य विकल्प’’ नहीं था. मोदी सरकार के ये दो मंत्री केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री अशेाक गजपति राजू और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री वाई एस चौधरी हैं.

टीडीपी के जवाब मेंआंध्र प्रदेश में नायडू सरकार में भाजपा के दो मंत्रियों के. श्रीनिवास राव और टी. माणिकयला राव ने भी इस्तीफा देने के अपने फैसले की घोषणा की. नायडू ने कहा, ‘‘ जब: केन्द्रीय कैबिनेट में शामिल होने का: उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा तो इसमें बने रहने में कोई तुक नहीं. मेरे लिए एकमात्र एजेंडा राज्य के हितों की सुरक्षा करना है.’’


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