नई दिल्ली ॥ एजेंसी
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पुराने और वरिष्ठ नेताओं को रिटायर करना या ठेस पहुंचाना नहीं चाहते। बल्कि पार्टी में उनकी ससम्मान भूमिका तय कर उनके अनुभव का लाभ लेने की कोशिश करना चाहते हैं। भाजपा के मार्गदर्शक मंडल की तर्ज पर कांग्रेस में एक सलाहकार मंडल बनाने पर विचार किया जा रहा है। इसकी बागडोर सोनिया गांधी को सौंपी जा सकती है। यह विभिन्न मुद्दों और राजनीतिक पेचीदगी पर बैठक कर अपनी राय और सुझाव पार्टी अध्यक्ष को दे सकेगा। हालांकि अंतिम फैसले का अधिकार पार्टी अध्यक्ष के पास ही रहेगा।
दरअसल, राहुल पार्टी में अब ऐसे लोगों को महत्व देकर आगे लाना चाहते हैं, जो लंबे अनुभव और सक्रियता के बाद भी कांग्रेस सरकारों व संगठन से दूर रहे हैं। वहीं वरिष्ठ और लगातार पार्टी का चेहरा रहे तमाम नेता जिन्हें लगातार विभिन्न पदों पर मौका मिलता रहा हैस उन्हें सलाहकार या अन्य भूमिका में शामिल किया जाएगा। हाल ही भंग की गई कार्यसमिति में तमाम चेहरे ऐसे हैं, जो सोनिया के 19 साल लंबे कार्यकाल और उससे पहले से जगह पाते रहे हैं। उनमें से भी कुछ बतौर सलाहकार सामने आएंगे। कांग्रेस के भीतर लगातार इस बात का दबाव बनाया जा रहा है कि कार्यसमिति का चयन मनोनयन से ही हो। उसके पीछे तर्क है कि चुनाव की हालत में गुटबाजी हावी होगी और कुछ बड़े नेताओं को फजीहत का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष के फैसले पर किसी को आपत्ति नहीं होगी। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष ने अभी इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है कि कार्यसमिति के सदस्यों का चयन चुनाव से होगा या नहीं। कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्रीय कार्य समिति के गठन का जो फार्मूला सार्वजनिक किया है, उसमें विभिन्न वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया जाना है। ऐसे में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और हाल ही बनाए गए नए संगठनों को भी प्रतिनिधित्व मिल सकता हैं। पार्टी महिलाओं की भागीदारी को लेकर अधिक संवेदनशील दिख रही है। कार्यसमिति में उनकी हिस्सेदारी भी स्पष्टता से दिखेगी।
राहुल क्यों चले जाते हैं नानी के घर?
यह कांग्रेस के नेता भी नहीं जानते कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ऐन वक्त पर नानी के घर इटली क्यों चले जाते हैं? इस बारे में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि इसका जवाब या तो कांग्रेस अध्यक्ष या फिर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ही दे सकते हैं।यह पूछे जाने पर कि भारत में होली का त्योहार है। इस त्योहार का भारतीय संस्कृति में अहम स्थान है। वैसे भी कांग्रेस साफ्ट हिन्दुत्व के रास्ते पर लौटी है। तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे भी आने थे और ऐसे में क्या राहुल गांधी का नानी के घर जाने का निर्णय सही कहा जा सकता है?
सूत्र का कहना है कि पार्टी के नेताओं से आपको इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकती। इसका जवाब केवल कांग्रेस अध्यक्ष दे सकते हैं। राहुल गांधी का नानी के घर जाना निजी मसला है। इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष के बाद केवल पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ही जवाब दे सकती हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी राहुल गांधी के देश से बाहर होने पर राजनीतिक तंज कसा है। शाह ने कहा कि उन्हें व्हाट्सअप पर संदेश आया है कि इटली में चुनाव है। जब शाह यह तंज कस रहे थे तो उनके चेहरे पर नागालैंड, त्रिपुरा में मिली जीत की खुशी साफ झलक रही थी। त्रिपुरा में 25 साल पुरानी माणिक सरकार का किला ढह गया। इससे पहले दिल्ली की सांसद मीनाक्षी लेखी ने राहुल गांधी के इटली जाने पर तंज कसा था। उन्होंने पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी तथा पूछताछ को लेकर तंज कसते हुए कहा कि राहुल गांधी को नानी याद आ गई। राहुल के इटली जाने का सवाल मीडिया कर्मियों के बीच में भी मौजूं है। हालांकि उनके इस सवाल का उत्तर कांग्रेस मुख्यालय में नहीं मिल पाता, लेकिन सवाल तो उठता ही है।
राहुल की गैर मौजूदगी में सोनिया ने संभाली कमान: राहुल गांधी इटली में हैं और वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष राष्ट्रपति त्रान दाई क्वांग तीन दिवसीय दौरे पर भारत में। ऐसे में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राज्यसभा में सदन के उप नेता आनंद शर्मा के साथ राष्ट्रपति क्वांग से भेंट मुलाकात के क्रम को आगे बढ़ाया। माना यह जा रहा है कि दिल्ली में होने पर राष्ट्रपति क्वांग से मिलने के लिए जाने प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी अवश्य होते।
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