अगरतला/कोहिमा/शिलाॅन्ग. तीन पूर्वोत्तरी राज्यों त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय के विधानसभा चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। शुरुआती रुझानों में त्रिपुरा में लेफ्ट और बीजेपी+ के बीच कांटे की टक्कर नजर आई। लेकिन अब बीजेपी गठबंधन आगे निकलकर सरकार बनाने की स्थिति में दिख रहा है। 35 साल में पहली बार बीजेपी को त्रिपुरा में इतनी कामयाबी मिली है। 25 साल से लगातार सत्ता में रहा लेफ्ट यहां कमजोर हुआ है। वहीं, नगालैंड और मेघालय में भी सरकार बनाने के समीकरण बीजेपी के ही फेवर में नजर आ रहे हैं। जानिए क्या कह रहे हैं रुझान और सरकार बनाने के समीकरण…
1) त्रिपुरा: बहुमत: 31/60
2013: लेफ्ट जीता
इस बार: Left v/s BJP
– यहां शुरुआती रुझान में बीजेपी+ (यानी बीजेपी और इंडिजीनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा) और लेफ्ट के बीच कांटे की टक्कर नजर आई। जिस त्रिपुरा में बीते 25 साल में बीजेपी का खाता तक नहीं खुला था, वहां उसने 51 सीटों पर माकपा को चुनौती दी थी। यहां पहली बार वह सबसे ज्यादा सीटें लेकर आ रही है।
पार्टी | 2018 के नतीजे/रुझान | 2013 में सीटें | 2013 में वोट शेयर |
सीपीएम | 19 | 49 | 48.1% |
कांग्रेस | 00 | 10 | 36.5% |
बीजेपी+ | 40 | 00 | 1.5% |
अन्य | 01 | 01 | 13.9% |
किसने चुनी सरकार?
वोटर: 25 लाख, वोटिंग: 89.8%
– त्रिपुरा में 25 साल से लेफ्ट की सरकार है। माना जा रहा है कि उसे एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर के चलते नुकसान हुआ है।
– यहांं 59 सीट पर चुनाव हुआ। एक सीट पर उम्मीदवार का निधन होने की वजह से चुनाव नहीं हुआ।
कौन हैं सीएम का चेहरा?
– मौजूदा सीएम माणिक सरकार। वे 1998 से सीएम हैं। बीजेपी ने सीएम कैंडिडेट के लिए किसी के नाम का एलान नहीं किया था। उसने मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा।
खासियत: माणिक की बेदाग छवि। इनके पास खुद का न मोबाइल है, न घर है, न कार है। वह सोशल मीडिया का इस्तेमाल भी नहीं करते हैं।
कमजोरी: ऐसा कहा जाता है कि इसी बात को लेकर युवाओं में नाराजगी है। आरोप लगते हैं कि राज्य आईटी सेक्टर में पिछड़ा है।
जातिगत समीकरण क्या है?
– 25 लाख से ज्यादा वोटर हैं। जातिगत समीकरण के लिहाज से 70% वोटर बंगाली और अन्य, 30% वोटर आदिवासी (शेड्यूल ट्राइब) हैं। बीजेपी ने क्षेत्रीय दल इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के साथ गठबंधन किया था। आईपीएफटी काफी वक्त से अलग आदिवासी बहुल त्रिपुरालैंड राज्य बनाने की मांग करती आ रही है। बीजेपी ने 60 में से 51 सीटों पर और आईपीएफटी ने 9 सीटों पर चुनाव लड़ा।
– बीजेपी और आरएसएस ने पिछले चार साल से इन्हीं आदिवासियों के बीच काम किया।
– त्रिपुरा में बंगाली हिंदू आबादी में करीब 70% नाथ योग संप्रदाय के वोटर हैं। अगरतला में नाथ मंदिर भी है। इन्हें लुभाने के लि यूपी के सीएमयोगी ने रोड शो और जनसभाएं की हैं।
2) मेघालय: बहुमत: 31/59
2013: कांग्रेस जीती
इस बार: Cong v/s NPP v/s BJP
– यहां कांग्रेस जरूर सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही है। लेकिन बीजेपी, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी मिलकर कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि एनपीपी और यूडीएफ, दोनों ही केंद्र में एनडीए में शामिल हैं। ऐसे में बीजेपी, एनपीपी और यूडीएफ मिलकर सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा आसानी से हासिल करते दिख रहे हैं। नॉर्थ-ईस्ट में बीजेपी के कन्वीनर हेमंत बिस्व सरमा ने भी दावा किया कि मेघालय में गैर-कांग्रेसी सरकार बनाई जाएगी।
पार्टी | 2018 के नतीजे/रुझान | 2013 में सीटें | 2013 में वोट शेयर |
कांग्रेस+ | 24 | 29 | 34.8% |
एनपीपी+ | 15 | 02 | 8.8% |
बीजेपी+ | 06 | 00 | 1.3% |
अन्य | 14 | 29 | 55.11% |
किसने चुनी सरकार?
वोटर: 19 लाख, वोटिंग: 67%
– 8 साल से कांग्रेस सरकार है। यहां कांग्रेस-बीजेपी और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) में त्रिकोणीय मुकाबला रहा। ड्रग्स, डेवलपमेंट और हेल्थ जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ा गया। नेशनल पीपुल्स पार्टी 2013 में सत्ता में आई। दिवंगत पूर्व कांग्रेसी नेता पीए संगमा इसके फाउंडर हैं। अब यह उनके बेटे और पार्टी चीफ कोनार्ड संगमा की लीडरशिप में मजबूत हो रही है। 5 साल में पार्टी का जनाधार बढ़ा है। 2014 के आम चुनाव में वोट शेयर 22.8% था। 18 असेंबली सीट में बढ़त बनाई थी।
– यहांं 59 सीट पर चुनाव हुआ। एक सीट पर उम्मीदवार का निधन होने की वजह से चुनाव नहीं हुआ।
कौन हैं सीएम का चेहरा?
– कांग्रेस मौजूदा सीएम मुकुल संगमा की लीडरशिप में चुनाव लड़ रही है। वहीं, एनपीपी ने सीएम के लिए किसी का नाम आगे नहीं किया है। एनपीपी के सबसे ज्यादा सीटें जीतने पर मुकुल संगमा की बहन और पूर्व सांसद अगाथा संगमा सीएम हो सकती हैं। बीजेपी ने किसी का नाम आगे नहीं किया था। यहां भी और बीजेपी के नाम पर चुनाव लड़ा गया।
जातिगत समीकरण क्या है?
– राज्य में करीब 75% वोटर ईसाई समुदाय हैं। इन वोटर्स को रिझाने के लिए कांग्रेस ने केरल के पूर्व सीएम और बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री केजे अल्फोंस को चुनाव की कमान दी थी।
– राज्य में हर चुनाव में निर्दलीय बड़ी संख्या में जीतते हैं। पिछली बार 13 जीते थे। 27% वोट उन्हें मिले थे। इस बार 84 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं।
3) नगालैंड: बहुमत: 31/60
2013: एनपीएफ जीता
इस बार: NPF v/s BJP+NDPP
– यहां भी नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) और बीजेपी बराबरी पर दिख रही है। नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक पीपुल्स पार्टी (एनडीपीपी) और बीजेपी का गठबंधन दूसरे नंबर पर है। यहां कांग्रेस का लगभग सफाया हो गया है। बीजेपी दोनों ही स्थितियों में फायदे में है, क्योंकि 15 साल वह एनपीएफ के साथ रही है और एनडीपीपी भी एनपीएफ से ही टूटकर बना दल है। ऐसे में किसी भी दल की अगुआई में बनने वाली सरकार में बीजेपी की हिस्सेदारी हो सकती है।
पार्टी | 2018 के नतीजे/रुझान | 2013 में सीटें | 2013 में वोट शेयर |
एनपीएफ | 30 | 38 | 47.2% |
कांग्रेस+ | 01 | 08 | 25% |
बीजेपी + | 27 | 01 | 1.8% |
अन्य | 00 | 13 | 26% |
किसने चुनी सरकार?
वोटर: 11 लाख, वोटिंग: 75%
– 15 साल से नेशनल पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) की सरकार है। बीजेपी ने चुनाव से पहले एनपीएफ से गठबंधन तोड़कर इसी पार्टी के बागी नेताओं-विधायकों के नए दल नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) से हाथ मिलाया। एनडीपीपी ने 40, बीजेपी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था। एनपीएफ 59 सीटों पर मैदान में रही।
कौन हैं सीएम का चेहरा?
– सीएम टीआर जेलियांग एनपीएफ का चेहरा हैं। बीजेपी और एनडीपीपी ने किसी नेता को आगे नहीं किया। एनपीएफ के पूर्व नेता और तीन बार सीएम रह चुके नेफ्यू रियो एनडीपीपी के संभावित कैंडिडेट हो सकते हैं। उन्होंने चुनाव से पहले एनडीपीपी ज्वाइन कर ली थी। वे नॉर्दर्न अंगामी-2 से निर्विरोध चुनाव जीत गए हैं। नरेंद्र मोदी की पहली पसंद हैं।
जातिगत समीकरण क्या है?
यह ईसाई बहुल राज्य है। यहां 90.2% ईसाई, 7.7% हिंदू और 1.8% मुस्लिम हैं।
इस चुनाव के बीजेपी-कांग्रेस और लेफ्ट के लिए मायने
– 29 राज्यों में से 19 में एनडीए (14 में बीजेपी) की सरकार है। इनमें नगालैंड भी शामिल है। यहां एनपीएफ-बीजेपी गठबंधन में थे।
– इन 10 राज्यों में बीजेपी या एनडीए की सरकार नहीं है: कर्नाटक, मेघालय और पंजाब (कांग्रेस), तमिलनाडु (AIADMK), त्रिपुरा और केरल (लेफ्ट), आंध्रप्रदेश (टीडीपी), पश्चिम बंगाल (टीएमसी), सिक्किम (एसडीएफ), तेलंगाना (टीआरएस)।
– नॉर्थ-ईस्ट के सात राज्यों में से असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर में बीजेपी की सरकार है। सिक्किम में सिक्किम डेमोक्रेटिव फ्रंट की सरकार है। त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय के रिजल्ट आज आना है।
– अगर कांग्रेस मेघालय हार जाती है तो वह सिमटकर सिर्फ दो राज्य (कर्नाटक और पंजाब) में रह जाएगी।
– लेफ्ट के हाथ से अगर त्रिपुरा चला जाता है तो उसके पास सिर्फ केरल बचेगा।
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