इंदौरः वित्त वर्ष 2018-19 के लिये मध्यप्रदेश के बुधवार को पेश बजट में दलहनी और तिलहनी फसलों पर से मंडी शुल्क हटाने की मांग पूरी नहीं होने को लेकर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग ने गहरी निराशा जाहिर की है. उद्योग जगत के नुमाइंदों का कहना है कि गत एक जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद भी मंडी शुल्क नहीं हटाये जाने से उन्हें सूबे में इन करों की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. राज्य में सभी प्रमुख फसलों पर 2.20 प्रतिशत की दर से मंडी शुल्क वसूला जाता है.
प्रसंस्करणकर्ताओं के इंदौर स्थित संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के चेयरमैन डेविश जैन से कहा, “प्रदेश सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को भरोसा दिलाया था कि जीएसटी के अमल में आने के बाद वह मंडी शुल्क हटा लेगी. लेकिन हम यह देखकर निराश हैं कि बुधवार को पेश बजट में इसका कोई प्रावधान नहीं किया गया है.” उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश देश का सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक राज्य है. उद्योग जगत को सूबे में सोयाबीन पर 2.20 प्रतिशत के मंडी कर के साथ पांच प्रतिशत की दर वाला जीएसटी भी चुकाना पड़ रहा है. इससे महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों से मध्यप्रदेश का खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मूल्य प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रहा है. इससे कहीं न कहीं किसानों को भी नुकसान हो रहा है.”
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