रियाद ॥ एजेंसी
महिलाओं पर सबसे ज्यादा अंकुश लगाए रखने वाले देश सऊदी अरब ने पिछले साल देश में महिला ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की घोषणा के बाद से कई सुधारवादी कदम उठाए हैं। इन्हीं के तहत सऊदी अरब ने अब महिलाओं के लिए सेना में नौकरियों का दरवाजा खोलने का साहसिक कदम उठाया है।
इससे पहले सऊदी अरब ने स्टेडियम में बिना पुरुष अकेली महिला को फुटबाल मैच देखने और फिर विदेशों से अकेली महिला को सऊदी अरब आने मंजूरी दी थी। इस बार सऊदी अरब ने एक और बड़ा फैसला लिया और कहा कि महिलाओं के लिए सेना की नौकरी स्वैच्छिक होंगी। इसका मतलब यह हुआ कि महिलाओं के सऊदी सेना में जाना अनिवार्य श्रेणी में नहीं माना जाएगा। सऊदी प्रेस एजेंसी ने पुष्टि की है कि जन सुरक्षा निदेशालय के मुताबिक महिलाओं को रियाद, मक्का, मदीना, कासिम, असीर, अल-बहा और शरकियाह में नियुक्ति दी जाएगी। सऊदी अरब में ये सारे सामाजिक सुधार क्राउन प्रिंस मोहम्मद सलमान के नेतृत्व में हो रहे हैं। महिलाओं की सेना में नियुक्ति के लिए उनका 25 से 35 साल के बीच सऊदी का मूल निवासी होना जरूरी होगा। सैन्य सेवाओं के लिए महिलाओं की शैक्षिक योग्यता हाई स्कूल डिप्लोमा निर्धारित की गई है। हालांकि सऊदी शूरा काउंसिल ने सुझाव दिया था कि महिलाओं के लिए साल में तीन माह सेना में नौकरी अनिवार्य कर दी जाए, लेकिन इस पर काउंसिल में मतभेद उभर आए और इस पर सुधार के बाद नौकरी का प्रस्ताव लाया गया।
महिलाओं पर लगी थीं सबसे अधिक पाबंदियां
सऊदी अरब में शाही परिवार और सभी मजहबी संस्थाएं वहाबियत का पालन करती हैं जो महिलाओं को सख्त इस्लामी नियमों में बांधकर रखते हैं। यहां महिलाओं को न तो अकेले सफर करने की इजाजत थी और न ही रेस्त्रां, कैफे या स्टेडियम में बिना पुरुष सदस्य के अकेले बैठने की अनुमति थी।
महिलाओं को सिर्फ परिवारों वाले कैबिन में ही पति या परिजनों के साथ बैठने की अनुमति मिली हुई थी। लेकिन दिसंबर-2017 में ही सिनेमाघरों पर से ङी दशकों पुरानी पाबंदी हटा ली गई ताकि क्राउन प्रिंस के दृष्टिकोण का पालन करने के लिए देश के मनोरंजन उद्योग में तेजी आ सके।
facebook - जनसम्पर्क
facebook - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
twitter - जनसम्पर्क
twitter - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
जिला प्रशासन इंदौर और शासन की दैनंदिन गतिविधियों और अपडेट के लिए फ़ॉलो करें