नई दिल्ली ॥ एजेंसी
कांग्रेस में आगामी विधानसभा चुनावों में ऐसे वरिष्ठ नेताओं को चुनाव लडऩे के लिए नहीं कहा जाएगा जो दो या तीन चुनाव हारे हैं। इसके साथ कांग्रेस के प्रभारी महासचिव और प्रदेश अध्यक्षों को इस पर भी काम करने को कहा गया है कि वह 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र वाले नेताओं को चुनाव नहीं लडऩे के लिए मनाएं।
बताया जा रहा है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में इस पर तेजी से काम भी चल रहा है। इसे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का एजेंडा बताया जा रहा है, जिसके तहत उन सीटों पर नए चेहरों और युवाओं को उतारे जाने का प्रयास किया जाएगा, जिन सीटों पर कांग्रेस लगातार शिकस्त खाती है। राहुल गांधी महासचिव और उपाध्यक्ष के रूप में भी इस तरह का प्रयोग करना चाहते थे, जिसमें विरोधी दल के कब्जे वाली सीटें युवाओं के हवाले की जाएं और उन्हें सफल नहीं रहने पर भी उन क्षेत्रों में टिक कर काम करने दिया जाए। यानी राहुल गांधी की योजना यह रही है कि युवा उन क्षेत्रों में पहले नहीं तो दूसरे चुनाव में सफल रहें। पूछने पर कांग्रेस के एक महासचिव ने कहा कि प्रभारी महासचिव और प्रदेश अध्यक्ष इस पर काम कर रहे हैं कि लगातार चुनाव में असफल होने वाले नेताओं को इस बार चुनाव नहीं लडऩे के लिए मनाया जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे वरिष्ठ नेताओं को उम्मीदवार बनाने की बजाय पार्टी में दूसरी जिम्मेदारी देकर संतुष्ट किया जाएगा। मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव दीपक बावरिया ने इस बात को सार्वजनिक भी कर दिया है। उन्होंने कहा है कि मेरी सलाह है कि 60 साल से अधिक उम्र के नेता और कई बार चुनाव लड़ चुके नेता अगर चुनाव न लड़े तो अच्छा होगा। हालांकि इसके अलग अर्थ लगाए जाने के बाद बावरिया ने स्पष्ट किया है कि इसे समझा जाए कि मैंने उक्त बात सिर्फ अनुरोधपूर्वक कही थी। उन्होंने यह भी कहा कि जो पार्टी के लिए उपयोगी होगा वह चुनाव लड़ेगा, यानी चुनाव से सिर्फ उम्र के आधार पर किसी को दूर नहीं किया जाएगा। इधर कांग्रेस में राहुल गांधी के नजदीक समझे जाने वाले एक युवा नेता ने पूछे जाने पर कहा कि अध्यक्ष चाहते हैं कि चुनाव में 40 फीसद नए चेहरे दिखने चाहिए, अगर उम्रदराज पीछे नहीं हटेंगे तो ये मकसद कैसे पूरा होगा। कांग्रेस में वरिष्ठ नेता बताते हैं कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले इस प्रयोग को आजमाना चाहते हैं कि बड़ी संख्या में टिकट काटे जाने से कितना राजनीतिक फायदा होता है। पार्टी के प्रबंधक कह रहे हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी यूपी समेत कई राज्यों में 40 फीसद तक उम्मीदवार बदल सकते हैं, लिहाजा इस प्रयोग को क्यों न विधानसभा चुनावों में कांग्रेस आजमाकर देखे। कहा तो ये भी जा रहा है कि कांग्रेस के मार्च के मध्य में होने वाले अधिवेशन में कुछ नेताओं से इस आशय के संकेत भी दिलवाए जाएंगे।
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