मॉडलिंग की गलियों से लेकर हिंदी सिनेमा तक का सफर तय करने वाली गौहर खान आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। टीवी, थिएटर और फिल्म हर मीडियम में गौहर ने काम किया है। वह उन अदाकाराओं में से हैं, जो लीक से हटकर फैसले करती हैं और फैसले की इस आजादी को ही वह महिलाओं का असली सशक्तिकरण मानती हैं। ‘रॉकेट सिंहÓ फिल्म करने के बाद मुंबई छोड़कर थिएटर शो जंगूरा के लिए गुडग़ांव में तीन साल गुजारने वाली गौहर का लखनऊ से भी खास रिश्ता है। पिछले दिनों एक फैशन इवेंट के सिलसिले में वह लखनऊ पहुंची गौहर ने मीडिया के साथ की खुलकर बातचीत।
याद है वह लखनऊ की सर्दी
यूपी से मेरा खास रिश्ता है। पापा की फैमिली रामपुर की है तो कहीं न कहीं मेरा नाता भी यूपी से है और लखनऊ तो यूपी की जान है। अक्सर लखनऊ मेरा आना-जाना रहता है। इन दिनों फैशन इवेंट और कॉरपोरेट शोज के लिए यहां आती रहती हूं। लखनऊ जब आती हूं, तब यहां से खूबसूरत यादें लेकर जाती हूं। मेरी फिल्म इशकजादे यहीं शूट हुई थी। मुझे याद है सेट पर हम सब एक साथ खाना खाते थे। शूट चाहे कितनी भी दूर हो टुंडे के कबाब जरूर खाने के डिब्बे में होते थे। उस वक्त की सर्दी को मैं कभी नहीं भूल सकती हूं। मैं जिस वक्त ‘झल्ला वल्ला…Ó गाने की शूटिंग कर रही थी, तब दो डिग्री तापमान था। मैं हर शॉट के बाद भागकर हीटर के पास आ जाती थी। सर्दी में मेरी बैंड बज गई थी।
एक्ट्रेस को भी हीरो बनने का मौका मिल रहा है
रॉकेट सिंह, इशकजादे, बद्रीनाथ की दुल्हनिया, बेगमजान सहित कई फिल्मों में नजर आ चुकीं गौहर कहती हैं कि ‘बेगमजानÓ को मैं वुमन सेंट्रिक फिल्म नहीं कहूंगी। यह फिल्म हिस्टॉरिकल थी लेकिन हां इसमें कुछ औरतों की कहानी थी इसलिए इसे वुमन ओरिएंटेड फिल्म कहा गया। अच्छी बात यह है कि अब महिला प्रधान फिल्में बनना शुरू हो गई हैं। अब ऐसी फिल्में बन रही हैं, जिसमें ऐक्ट्रेस हीरो होती हैं। बेगमजान में जहां तक काम करने का सवाल है तो मुझे जब विद्या बालन जी का मेसेज मिला कि रुबीना के किरदार के लिए हम तुम्हें चाहते हैं तो मुझे बहुत खुशी हुई। बहुत ही खूबसूरती के साथ इसे बनाया गया था। सभी ने फिल्म में बहुत ज्यादा मेहनत की थी।
बिजनस पर मैं कॉमेंट नहीं कर सकती
‘बेगमजानÓकी असफलता के बारे में गौहर कहती हैं कि फिल्म के बिजनस पर कॉमेंट करना मेरा काम नहीं है। फिल्म हिट होगी या फ्लॉप यह प्रेशर मेरा नहीं होता है। कई फिल्में और आई हैं, जो बॉक्स ऑफिस पर भले ही न चली हों लेकिन लोगों को बहुत पसंद आईं। ‘रॉकेट सिंहÓ या फिर ‘चॉक ऐंड डस्टरÓ की बात करें तो यह भी बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली थीं लेकिन ये फिल्में बहुत अच्छी थीं। इन्हें खूब तारीफें मिली थीं। कई जगह थिएटर में ‘बेगमजानÓ को दर्शकों ने स्टैंडिंग ओवेशन दिया था। एक ऐक्टर के तौर पर मेरे लिए यह मायने रखता है कि फिल्म में मेरा किरदार क्या है और कितना स्ट्रॉन्ग है। रूबीना के किरदार को मैंने पूरी शिद्दत से जिया। लकी रही कि इस किरदार के लिए मुझे बहुत प्रशंसा भी मिली। मुझे गर्व है कि मैं ‘बेगमजानÓ का हिस्सा बनी। ‘बेगमजानÓ के बाद मुझे उसी तरह के कई रोल ऑफर हुए लेकिन मैं अपने किसी किरदार को दोबारा रिपीट नहीं करना चाहती हूं।
बस अच्छा काम करना चाहती हूं
टीवी पर ‘बिग बॉस सीजन 7Ó की विनर रह चुकी गौहर कहती हैं कि मैं ऐक्टर हूं। पिछले कई साल से टीवी, फिल्म और थिएटर में काम कर रही हूं। ऐसा नहीं है कि अब मैं टीवी नहीं करना चाहती हूं। मैं टीवी जरूर करूंगी अगर कोई लीड और अलग तरह का रोल मिलेगा। टीवी हो या फिल्म, मैं हर तरह के मीडियम में काम करना चाहती हूं।
मुझे कोई शिकायत नहीं
गौहर कहती हैं कि जब मैं ‘झलक दिखलाजाÓ कर रही थी, उस वक्त मुझे ‘रॉकेट सिंहÓ का ऑफर आया था। पांच ऑडिशन के बाद मेरा फिल्मों में काम करने का सपना सच हुआ था। फिर मुझे ‘जंगूराÓ जैसा थिएटर करने का मौका मिला। मैंने ‘जंगूराÓ के लिए मुम्बई छोड़ दिया और तीन साल गुडग़ाव में रही। सब मना करते रहे लेकिन मैंने फैसला कर लिया था। फिर लोगों ने कहा कि आयटम नम्बर मत करना इमेज बन जाएगी पर मैंने वे भी किए। लोगों की बातों के परे जाकर मैंने अपने फैसले लिए और सही मायने में यही हम औरतों का सशक्तिकरण है। हर ऐक्टर की तरह मैं भी संजय लीला भंसाली, इम्तियाज अली या फिर मणिरत्नम जैसे फिल्म मेकर्स के साथ काम करना चाहती हूं। हालांकि, ऐक्टर को उसी में अपना बेस्ट चुनना होता है, जो काम उसे ऑफर होता है। मैंने भी ऐसा किया है। मुझे पता है कि जो काम करूंगी, उसमें अपना बेस्ट निकाल लूंगी। मुझे जो नहीं मिला, उसका अफसोस नहीं है बल्कि जो मिला है, उस पर गवज़् है। मैं कम में विश्वास रखती हूं।
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