श्रीनिवास तिवारी के खिलाफ नहीं चलेगा केस

भोपाल/जबलपुर
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व.श्रीनिवास तिवारी की उस याचिका का पटाक्षेप कर दिया, जिसके जरिए भोपाल के जहांगीराबाद थाने में दर्ज अपराध के आधार पर जारी अदालती कार्रवाई को समाप्त किए जाने पर जोर दिया गया था।
हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अब इस दुनिया में न होने की जानकारी को रिकॉर्ड पर लेने के साथ ही साफ कर दिया कि अब अदालती कार्रवाई स्वमेव समाप्त हो जाएगी। चूंकि याचिका में की गई मूल मांग पूरी हो चुकी है, अत: हाईकोर्ट में याचिका को विचाराधीन रखे जाने की कोई आवश्यकता नहीं रह गई है। कल प्रशासनिक न्यायाधीश एसके सेठ व जस्टिस अनुराग श्रीवास्तव की युगलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा था। इस दौरान याचिकाकर्ता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी की ओर से अधिवक्ता प्रकाश उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद-187 व 212 में विधानसभा अध्यक्ष को संवैधानिक संरक्षण दिए जाने की स्पष्ट व्यवस्था दी गई है। इसके बावजूद भोपाल के जहांगीराबाद थाने की पुलिस ने विधानसभा सचिवालय से विधिवत मंजूरी हासिल किए बिना एफआईआर दर्ज कर ली। साथ ही अदालत में चालान भी पेश कर दिया, जिसके आधार पर ट्रायल जारी है। इसी मनमानी के खिलाफ न्यायहित में हाई कोर्ट की शरण ली गई है। विधानसभा अध्यक्ष का पद राज्यपाल और मुख्य न्यायाधीश की तरह हेड ऑफ इंस्टीट्यूशन संबधी अतीव संवैधानिक गरिमा का पद है। लिहाजा, उसके खिलाफ राज्य शासन या उसके अधीन पुलिस सीधे तौर पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। इस संबंध में कोई ठोस शिकायत आने पर विधानसभा सचिवालय ही विधिसम्मत जांच करने की अधिकारिता रखता है। ऐसा इसलिए क्योंकि विधानसभा सचिवालय राज्य सरकार के अधीन न होकर अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखता है। वह राज्य के प्रति उत्तरदायी नहीं होता। इस तरह विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों का अतिक्रमण करके की गई कार्रवाई समाप्त किए जाने योग्य है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि उड़ीसा हाईकोर्ट ने उडीसा के 12वें विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई को असंवैधानिक करार देकर समाप्त कर दिया था।


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