जर्जर हो रहीं शहर की धरोहर
दिलीप मालवीय ॥ भोपाल
तालों के शहर के नाम से फेमस भोपाल एक बेहद खूबसूरत शहर है, जोकि मप्र की राजधानी है। भोपाल की कुछ ऐसी इमारते भी हैं जिन्होंने अपनी सुंदरता की वजह से देश दुनिया के पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करने के साथ ही शहर की शान भी बढ़ाई है। लेकिन भोपाल ऐसी ही कुछ वल्र्ड फेमस इमारतों जो प्रशासन की अनदेखी की निशानी बनी हुईं है। क्योंकि प्रशासन की अनदेखी की वजह से यह इमारते धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रही है।
पुराने शहर के ताजमहल का जहां धीमी गति से रिनोवेशन हो रहा है वहीं महल का प्रवेश द्वार ही क्षतिग्रस्त है। ताजमहल की सुरक्षा के लिए बने तीन विशाल दरवाजों में से एक इसे दाखिल दरवाजा भी कहा जाता है। इसका मेंटेनेंस तो किया गया था, लेकिन अंदरूनी व उसके आसपास मेंटेनेंस नहीं होने से अब प्लास्टर झड़ रहा है। अब इसके मेंटेनेंस की जरूरत है। बताया जाता है कि ताजमहल की सुरक्षा के लिए इस गेट पर सुरक्षा प्रहरी तैनात रहते थे।
महल में प्रवेश करने का ये मुख्य द्वार हुआ करता था। यहां दरवाजे के पास ही अस्पताल भी संचालित होता था, जहां वर्तमान में मैकेनिक मार्केट है। वर्तमान में ताजमहल का रिनोवेशन किया जा रहा है, लेकिन इसके दरवाजों को सहेजने की जरूरत नहीं समझी गई। लोगों का कहना है कि सबसे पहले महल के दरवाजों एवं दीवार के बाहरी हिस्से को सहेजने की पहल की जानी चाहिए।
पुराने शहर की ऐतिहासिक इमारत ताजमहल का इन दिनों रिनोवेशन चल रहा है। मप्र स्टेट पर्यटन विकास निगम द्वारा इसे हेरिटेज होटल के रूप में विकसित करने का काम किया जा रहा है। सरकार ने इसके लिए 5 करोड़ 85 लाख रुपए स्वीकृत किए हैं।
करीब एक साल से रिनोवेशन का काम चल रहा है। वहीं बाहर के गेटों को संवारने के लिए अब तक कोई कार्ययोजना तैयार नहीं की गई है। जबकि ताजमहल के आसपास की दीवारों के आसपास गाडिय़ा खड़ी रहती है। स्थानीय बाशिंदों का कहना है कि बाहरी दीवारों का मेंटनेंस समय पर किया जाना जिससे यहां कभी कोई हादसा न हो सके।
ताजमहल का इतिहास
1871 से 1884 में इस ताज को भोपाल के 11 वें शासक नवाब शाहजहां बेगम ने बनवाया था। आगरा और भोपाल के ताजमहल में अंतर सिर्फ इतना है कि भोपाल के इस ताज को बेगम ने निवास स्थल के रूप में बनाया गया था। जबकि आगरा का ताजमहल एक मकबरा है। भोपाल के इस महल को बनवाने में 13 साल लगे थे। इसे बनाने में 30 लाख रुपए खर्च किए गए थे। इस महल का निर्माण पूरा होने की खुशियां तीन साल तक मनाई गई थीं।
महल में हैं 120 कमरे
इस महल में सावन भादो मंडप के साथ साथ शीश महल और 120 कमरे हैं। अंडरग्राउंड कमरे और हॉल भी हैं। ताजमहल पैलेस के आसपास ताजुल मसाजिद, बेनजीर पैलेस, मोतिया तालाब और मुंशी हुसैन खां तालाब है। इसके अंदर के हिस्से को आकर्षक बनाया जा रहा है लेकिन बाहरी हिस्से पर गौर नहीं किया जा रहा है। स्थानीय रहवासी अकरम खान कहते है कि ताजमहल के चारों ओर जो हिस्सा जर्जर दिख रहा है, उसकी तुरंत मरम्मत की जानी चाहिए।
कभी यह इमारतें थीं भोपाल की पहचान आज प्रशासन की अनदेखी की निशानी
शीश महल टिका हुआ है बल्लियों के सहारे
इस ऐतिहासिक बिल्डिंग शीश महल के स्टोर रूम में राज्यपाल, सीएम एवं मंत्रियों के बंगलों पर फर्नीचर क्रॉकरी सप्लाई की जाती थी, वह पिछले डेढ़ से बल्लियों के सहारे टिका हुआ है। यह पीडब्ल्यूडी के सेंट्रल स्टोर सब डिवीजन का स्टोर रूम है। 200 साल से ज्यादा पुरानी इस हवेली में प्रख्यात शायर अल्लामा इकबाल भी आ चुके हैं। बताया जाता है कि नवाबी शासनकाल में यहां नवाब के मुलाजिम रहते थे। अब यह ऐतिहासिक इमारत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है।
70 साल से नहीं खुला शौकत महल का एक दरवाजा
नवाबों के शहर में यहां की महिला नवाबों ने एक से बढ़कर एक सौगात दी है। करीब दो सौ साल पहले फ्रेंच और इंडियन स्टाइल में शौकत महल बना था। यह महल भोपाल की पहली महिला नवाब गौहर बेगम कुदसिया ने अपनी बेटी सिकंदर बेगम को दहेज में देने के लिए बनवाया था। करीब 200 साल से शहर के हर उतार-चढ़ाव का गवाह रहे इस महल का एक हिस्सा तो पहले ही गिरा दिया गया। लेकिन प्रशासन की अनदेखी अभी भी बनी हुई, जिसकी वजह से यह शानदार महल अपना मूल स्वरूप खोता जा रहा है। भोपाल के इतिहासकार सैयद अख्तर हुसैन बताते हैं, ‘अब यह महल प्राइवेट प्रॉपर्टी बन चुका है। इसका एक दरवाजा तो खुला रहता है, लेकिन एक अन्य दरवाजा करीब 70 सालों से बंद है। पिछले 70 साल में यह दरवाजा कभी नहीं खुला। अब इस दरवाजे के सामने अतिक्रमण हो गया है।Ó
नगर निगम द्वारा शहर की सभी धरोहरों को संवारने का कार्य चल रहा है। पुराने शहर के ताजमहल को भी बाहर से आकर्षक बनाने की दिशा में काम किया जाएगा।
> आलोक शर्मा, महापौर
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