चार चुनावों से पहले सरकारें करती रही हंै घोषणा
सच संवाददाता ।। भोपाल
प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में 31 दिसम्बर 2016 के पूर्व तक बसी हुई अवैध कॉलोनियों को वैध किया जाएगा। अवैध कॉलोनियों के रहवासियों की समस्याओं को देखते हुए सरकार ने अवैध कॉलोनियों के विनियमितीकरण के सरलीकरण नियमों में संशोधन किया गया है। प्रदेश सरकार ने सबसे पहले 1998, फिर 2003, 2008, 2013 और अब 2018 में फिर सरकार ने यह निर्णय लिया है कि अवैध कालोनियों को वैध किया जाएगा।
नगरीय प्रशासन विभाग ने नगरीय निकायों से अवैध कानोनियों को वैध करने का सर्वे प्रस्ताव मांगा है। नगर निगम भोपाल ने इसके लिए सर्वे भी शुरू कर दिया है। भोपाल में 325 अवैध कालोनियां है। 31 दिसम्बर 2016 से पूर्व तक बसी ऐसी कॉलोनी, जिनमें कम से कम 10 प्रतिशत बसाहट हो, उसमें 70 प्रतिशत रहवासी निम्न आय वर्ग के होंगे, तो विकास व्यय की मात्र 20 प्रतिशत राशि रहवासियों से ली जाएगी। शेष 80 प्रतिशत राशि स्थानीय निकाय और राज्य सरकार द्वारा वहन की जाएगी। इसके अतिरिक्त अन्य कॉलोनियों में आधी-आधी राशि रहवासियों और नगरीय निकाय एवं राज्य शासन द्वारा वहन की जाएगी। अवैध कॉलोनियों के विनियमितीकरण के सरलीकरण नियमों में संशोधन के बाद सभी 378 नगरीय निकायों की 4 हजार 759 अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया प्रारंभ करने की बात नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से की जा रही है। रहवासियों की मदद के लिये राज्य सरकार द्वारा जनभागीदारी की राशि में सांसद और विधायक निधि द्वारा दी गयी राशि को भी सम्मिलित किया जा सकता है। इसके साथ ही रहवासियों से जल, विद्युत एवं मलनिकासी के कार्यों की लागत नहीं ली जाएगी। सरकार की ओर से नगर निगम से उन सभी अवैध कालोनियों के विकास को लेकर वर्तमान स्वरूप के अलावा और क्या कुछ किया जा सकता है तथा अवैध कालोनी वैध स्वरूप में होती तो वर्तमान स्वरूप से हटकर किस तरह होती, यह भी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। उन्होंने नगर निगम से यह भी जानकारी मांगी है कि किस कालोनी में नगर निगम अब तक किस तरह का विकास कार्य करा चुका है और किन कालोनियों में किस तरह का विकास किया जाना प्रस्तावित है। राजधानी में 325 से अधिक अवैध कालोनियां हंै, जिसमें 30 जून 2002 को 198 अवैध कालोनियां चिन्हित की गईं, जिसमें से 171 अवैध कालोनियों को नियमितीकरण के योग्य पाया गया था। नगर निगम प्रशासन ने 84 कालोनियों को जवाहरलाल नेहरू राष्टï्रीय शहरी नवीनीकरण योजना में शामिल कर लिया है और इसके अलावा अन्य कालोनियों को लेकर भी विचार चल रहा है। इन्हीं सब जानकारियों से नगर निगम प्रशासन नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को अवगत कराएगा। रहवासियों की मदद के लिये राज्य सरकार द्वारा जनभागीदारी की राशि में सांसद और विधायक निधि द्वारा दी गयी राशि को भी सम्मिलित किया जा सकता है। इसके साथ ही रहवासियों से जल, विद्युत एवं मल निकासी के कार्यों की लागत नहीं ली जाएगी।
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325 है अवैध कालोनियां
भोपाल में 1998 तक 178 अवैध कालोनियां थी, जिसके बाद हर विधानसभा चुनाव से पहले सरकार अवैध कालोनियों को वैध करने की घोषणा करती आ रही है, जिसके कारण भोपाल में पिछले 20 साल में अवैध कालोनियों की संख्या 325 तक पहुंच गई है। नगर निगम एक बार फिर सर्वे कर रहा है।
मिलने लगती है बिल्डिंग परमीशन
सरकार द्वारा अवैध कालोनियों को वैध करने की घोषणा करने के बाद से यह फर्क पड़ता है कि अवैध कालोनी में बनने वाले मकान को नगर निगम से बिल्डिंग परमीशन मिलने लगती है। नगर निगम को बिल्डिंग परमीशन के नाम पर राजस्व मिलने लगता है, लेकिन कालोनी वैध नहीं हो पाती है। अवैध कालोनी में बन चुके मकानों से विकास शुल्क नहीं मिल पाता, इस कारण अवैध कालोनी, वैध नहीं हो पाती है।
नगर निगम ने सर्वे शुरू किया है कि भोपाल में पिछले सात साल में काई अवैध कालोनी तो नहीं बनी है। नगर निगम रिकार्ड के मुताबिक भोपाल में अब तक 325 कालोनियां अवैध है।
शुभाषिश बैनर्जी
सिटी प्लानर, नगर निगम भोपाल
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